भारत सरकार की शीर्ष नीति-निर्माता संस्था नीति आयोग ने चीनी कंपनियों द्वारा भारत में किए जाने वाले निवेश पर लागू सुरक्षा जांच नियमों में ढील देने का प्रस्ताव रखा है। यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है जब भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) में गिरावट दर्ज की जा रही है, और सरकार निवेश को प्रोत्साहन देने के उपायों की तलाश में है।
फिलहाल, चीन की किसी भी कंपनी द्वारा भारत में निवेश करने के लिए गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से विशेष सुरक्षा मंजूरी प्राप्त करना अनिवार्य है। यह नियम 2020 में भारत-चीन सीमा पर हुई सैन्य झड़पों के बाद लगाया गया था। इन सुरक्षा मानकों का उद्देश्य विदेशी दुश्मन ताकतों से संवेदनशील क्षेत्रों की रक्षा करना था। लेकिन नीति आयोग का मानना है कि अब इन नियमों के कारण कुछ बड़े और लाभकारी निवेश अधर में लटक गए हैं।
नीति आयोग ने प्रस्ताव दिया है कि चीनी कंपनियों को कुछ सीमाओं में छूट दी जाए। इसके अंतर्गत ऐसी कंपनियां 24% तक भारतीय कंपनियों में निवेश कर सकेंगी, वह भी बिना किसी पूर्व सुरक्षा मंजूरी के। हालांकि यह छूट केवल गैर-संवेदनशील क्षेत्रों जैसे मैन्युफैक्चरिंग और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टर्स में दी जाएगी। रक्षा, बैंकिंग, टेलीकॉम, मीडिया और फार्मास्युटिकल जैसे क्षेत्रों में पुराने नियम लागू रहेंगे।
The essence of the Modi govt's China policy: accepting Chinese terms for normalisation of bilateral ties. pic.twitter.com/IOHWJR8F3y
— Sushant Singh (@SushantSin) July 19, 2025
यह प्रस्ताव उस पृष्ठभूमि में आया है जब चीन की प्रमुख इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी BYD ने भारत में लगभग 1 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना को रोक दिया। इस निवेश से भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को गति मिल सकती थी, लेकिन मौजूदा सुरक्षा नियमों के चलते यह समझौता आगे नहीं बढ़ सका।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में पिछले वित्तीय वर्ष में केवल $353 मिलियन का चीनी FDI आया, जबकि वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा $43.9 बिलियन था। यह गिरावट सरकार के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंधों में ठंडक को अब धीरे-धीरे गर्मजोशी में बदला जा रहा है। पिछले साल अक्टूबर से दोनों देशों ने वाणिज्यिक विमानों की उड़ानें बहाल की हैं और सीमा विवाद पर बातचीत फिर से शुरू की गई है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर की हालिया बीजिंग यात्रा को भी इसी दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार नीति आयोग के इस प्रस्ताव को मंजूरी देती है, या राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए पुराने नियम ही बनाए रखती है। फिलहाल इस प्रस्ताव पर विभिन्न मंत्रालयों, प्रधानमंत्री कार्यालय और सुरक्षा एजेंसियों के बीच चर्चा जारी है।