उर्दू ने हमारी आज़ादी की लड़ाई में बहुत अहम भूमिका अदा की है: इंदिरा गाँधी

'जब एक बार आपको उर्दू जैसी कोई धरोहर मिल जाए तो उसे खो देना मेरी समझ से बहुत ही अदूरदर्शिता की बात होगी।'

हम सब उर्दू भाषा को बढ़ावा इसलिए नहीं देना चाहते कि वह एक अल्पसंख्यक समुदाय की भाषा है बल्कि इसलिए कि वह एक महत्वपूर्ण भारतीय भाषा है। वह पूरी तरह से भारत की भाषा है। हो सकता है किसी अन्य देश ने उसे अपना लिया हो , लेकिन वह पूरी तरह से भारत में जन्मी और बढ़ी है और यह एक खूबसूरत भाषा है। इसमें बड़ी ताकत है: मेरे कहने का मतलब यह है कि बहुत से ऐसे भाव हैं जिनको आप जितनी अच्छी तरह उर्दू में व्यक्त कर सकते हैं उतना अन्य किसी भाषा में शायद नहीं कर सकते, और इसने हमारी आज़ादी की लड़ाई में बहुत अहम भमिका अदा की है।

 

उत्तर प्रदेश में हम देश भक्ति के जो गीत गाते रहें, उनमें से ज्यादातर उर्दू में थे। इसलिए हमें इस भाषा को अल्पसंख्यकों की भाषा न मानकर व्यापक रूप में मानना चाहिए। उसको उसका सही महत्व देना चाहिए। जैसा कि मैंने लखनऊ में कहा था, जब एक ही बार आपको कोई ऐसी धरोहर मिल जाए तो उसे खो देना मेरी समझ से बहुत ही अदूरदर्शिता की बात होगी क्‍योंकि वह हमारी राष्ट्रीय सांस्कृतिक समृद्धि का अंग है। इसलिए हमें उसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए और मैं समझती हूं कि अगर इस समिति के सदस्य इसे सीखने का कष्ट करें तो यह भी इस भाषा के प्रसार की दिशा में एक कदम होगा।

 

 

सांप्रदायिकता विरोधी संसदीय समिति में भाषण, 19/04/1973