राजनीति जहाँ वह कठोर होती है, वहाँ वह तानाशाही समझी जाती है: दिनकर

‘लोकदेव नेहरू’ में दिनकर लिखते हैं- राजनीति की परिभाषा आसान नहीं है। राजनीति युद्ध भी है और शान्ति भी, हिंसा भी है और अहिंसा भी, सिधाई भी है और छल-प्रपंच भी। युद्ध राजनीति की उस अवस्था को कहते हैं, जब वह लोहू

मैं अपना बचाव करने या आपके वोट के लिए याचना करने के लिए तैयार नहीं हूं: पं. जवाहरलाल नेहरू

…अब भी, जब मैं यहां इलाहाबाद में एक लंबे अंतराल के बाद आपके सामने खड़ा हूं, तो मैं खुद को यह कहने के लिए नहीं ला सकता कि मैं संसद के लिए खड़ा हूं और आप मुझे वोट दें, नहीं तो मैं

‘हमें पंडितों और मुल्लाओं की जरूरत नहीं’

गदर आंदोलन(1913) के ज्यादातर नेता व कार्यकर्ता सिख थे, लेकिन अखबार व ‘गदर की गूंज’ कविता संग्रह ने जिस विचारधारा का प्रचार किया, उसका चरित्र मूलतः धर्मनिरपेक्ष था। गदर आंदोलन के दौरान गदर पत्र का सम्पादन शुरू किया गया। इसमें छपी कविताओं

“आइए, हम सब वृहत्तर हित के लिए अपनी पूरी ताक़त लगा दें।”: इंदिरा गाँधी

आज जिस पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न राज्यों के विधायक कॉंग्रेस छोड़ छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी या TMC जैसे अन्य दलों में शामिल होते जा रहे हैं, उसी कॉंग्रेस ने पूर्वोत्तर में विकास की नींव रखी थी। लगातार उपेक्षा का शिकार रहे

सरदार वल्लभभाई की गिरफ़्तारी का अर्थ है कि भारत अब स्वाधीनता की लड़ाई के बीचोबीच है: जवाहरलाल नेहरू

सरदार वल्लभभाई पटेल की गिरफ्तारी और सजा एक महत्त्वपूर्ण और शुभ शकुन है। इसका अर्थ यह है कि हम लोग लड़ाई के बींचो बीच हैं। हम लोगों को उनका विवेकपूर्ण परामर्श नहीं मिल पाएगा; किंतु बारदोली को भारत में विख्यात कर देनेवाला

गांधीजी का पहला उद्देश्य किसी तरह भारतीय जनता के चरित्र को बदलना था: जवाहरलाल नेहरू

गाँधी जी एक बहुत ही महान और जटिल व्यक्ति हैं। मैं यह बात मजाकिया अंदाज में नहीं कह रहा हूँ। उन्होंने भारत में चमत्कार किया है। भारत में उन्होंने जो जबरदस्त बदलाव लाया है, उसे महसूस करना चाहिए। गांधीजी का पहला उद्देश्य

हमें युवा प्रतिभाओं को हतोत्साहित नहीं करना चाहिए: जवाहरलाल नेहरू

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू देश की अवसंरचना की एक एक ईंट रख रहे थे। देश के विकास में योगदान का जज़्बा रखने वाले हर व्यक्ति को मौका देना चाहते थे। भले ही किसी का जज़्बा धरातल और वास्तविकता से मेल

हम उन आदर्शों से कितना नीचे गिर गए हैं जो बापू ने हमारे सामने रखे थे: जवाहरलाल नेहरू

मैं आपसे बिना किसी स्क्रिप्ट के बात कर रहा हूं क्योंकि …मेरे पास आजकल लिखने के लिए बहुत कम समय है, हालाँकि मेरा मन बहुत सी घटनाओं से भरा हुआ है।…….आज सुबह, हमारे नेता, हमारे गुरु, महात्मा गांधी, दिल्ली आए, और मैं

गाँधी-इरविन समझौते से नेहरू बहुत दुखी थे: राजेन्द्र प्रसाद

(गाँधी-इरविन समझौते,1931 को लेकर) महात्माजी को उधर लार्ड इरविन के साथ उसके प्रत्येक शब्द पर विचार करना पड़ता और इधर हम लोगों के साथ भी। लार्ड इरविन और महात्माजी, दोनों ही, बहुत ही सहिष्णुता और धीरज के साथ, समझौते के मसविदे को

उर्दू ने हमारी आज़ादी की लड़ाई में बहुत अहम भूमिका अदा की है: इंदिरा गाँधी

हम सब उर्दू भाषा को बढ़ावा इसलिए नहीं देना चाहते कि वह एक अल्पसंख्यक समुदाय की भाषा है बल्कि इसलिए कि वह एक महत्वपूर्ण भारतीय भाषा है। वह पूरी तरह से भारत की भाषा है। हो सकता है किसी अन्य देश ने