दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में अध्यापनरत अनामिका जी को उनके काव्य संग्रह “टोकरी में दिगंत” के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ‘खुरदरी हथेलियाँ’, ‘गलत पते की चिट्ठी’ जैसे कविता संग्रहों के अलावा ‘लालटेन बाजार’ और ‘दस द्वारे
ट्विटर पर स्वयं को ‘देसी मॉडर्न’ कहने वाले लेखक और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफ़ेसर श्री पुरुषोत्तम अग्रवाल पूर्व में संघ लोकसेवा आयोग के सदस्य भी रह चुके हैं। देश में वैज्ञानिक मिज़ाज को बढ़ावा देने के हिमायती प्रो. अग्रवाल वोल्फ़सान
जब कालाधन कोई चुनावी जुमला और सरकारों को विस्थापित करने का साधन नहीं था तब से इस पर नज़र रखने वाले और ब्लैक ईकानमी पर कई पुस्तकें लिख चुके प्रोफेसर अरुण कुमार कोविड-19 के आने के पहले ही देश की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था
हाशिमपुरा जैसी घटनाएँ लोकतान्त्रिक-प्रशासनिक मूल्य-पैरालिसिस से जन्म लेती हैं- संस्थाएं अधिकारी पैदा करती हैं, उन्हें ट्रेनिंग देती हैं लेकिन उनके अंदर लोक-सौहार्द्र के मूल्यों का विकास परिवार, समाज और शिक्षा के मंथन से होता है। ऐसे ही एक मंथन से निकले उत्तर
प्रोफेसर अरुण कुमार के लिए वर्तमान GST कोई कर सुधार नहीं बल्कि असंगठित क्षेत्र को झुलसा देने वाला ‘ग्राउन्ड स्कोर्चिंग टैक्स’ है। ‘इंडियन इकोनॉमीज ग्रेटेस्ट क्राइसिस’, ‘डिमोनेटाइजेशन एण्ड द ब्लैक इकोनॉमी’ जैसी बेस्टसेलर किताबों के लेखक प्रो. कुमार के लिए अर्थशास्त्र का
खेतों में पसीना बहाने वाले किसानों को जब भी अपनी पीड़ा समझाने के लिए आँकड़ों की कमी पड़ती है तो उन्हें सहारा देते हैं पूर्व सांसद, केंद्रीय कृषिमंत्री और योजना आयोग के सदस्य श्री सोमपाल शास्त्री जी। आँकड़ों को उँगलियों पर रखने