जिस समाज में अस्पृश्यता का प्रचलन है, वह समाज सभ्य नहीं!

  अस्पृश्यता का उन्मूलन मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। यह मानवता पर एक कलंक है। जिस समाज में अस्पृश्यता का प्रचलन है, वह समाज सच्चे अर्थों में सभ्य नहीं हो सकता। अस्पृश्यता केवल एक सामाजिक समस्या नहीं है, यह हमारे

हिंसा के रास्ते शांति स्थापित करना, एक असंभव विचार है।

शांति केवल बाहरी स्थिति का नाम नहीं है, यह एक आंतरिक अवस्था है। यह हमारे हृदय में बसती है। यदि हम हिंसा को अपनाकर शांति स्थापित करना चाहते हैं, तो यह एक असंभव विचार है। हिंसा से केवल अस्थायी समाधान मिलता है,

शिक्षा वही ठीक है जो आपके सर्वोत्तम गुणों को सामने लेकर आये।

शिक्षा केवल बुद्धि को विकसित करने का नाम नहीं है; यह हृदय और आत्मा की जागृति का भी माध्यम है। मेरा मानना है कि एक सच्ची शिक्षा वही है जो हमारे भीतर के सर्वोत्तम गुणों को सामने लाए। इस शिक्षा का लक्ष्य

बच्चों को सत्य, अहिंसा, सहनशीलता और करुणा का अभ्यास करायें।

शिक्षा का असली मकसद केवल अकादमिक ज्ञान नहीं है, बल्कि यह हमारे चरित्र का निर्माण करती है। हमें बच्चों को सत्य, अहिंसा, करुणा और सहनशीलता जैसे गुणों का अभ्यास कराना चाहिए। शिक्षा का यह कार्य केवल शिक्षकों का नहीं, बल्कि हर व्यक्ति

राजनीति में धर्म का प्रयोग समाज को विभाजित करने के लिए नहीं होना चाहिए

धर्म और राजनीति का संबंध बहुत ही नाजुक है। मेरा मानना है कि राजनीति का आधार नैतिकता और धर्म होना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम धर्म के नाम पर भेदभाव करें। धर्म का उद्देश्य मानवता की सेवा करना है,

हमें किसी भी धर्म के प्रति पूर्वग्रह नहीं रखना चाहिए।

सभी धर्म एक ही सत्य के विभिन्न रूप हैं। हमें किसी भी धर्म के प्रति पूर्वग्रह नहीं रखना चाहिए। सच्ची धार्मिकता वह है जो हमें अन्य धर्मों का सम्मान करना सिखाती है और हमें मानवता की सेवा की ओर प्रेरित करती है।

हिंसा कमज़ोरी की निशानी है और यह आपको आपकी आत्मा से दूर कर देती है

अहिंसा कमजोरी की निशानी नहीं है, बल्कि यह सबसे बड़ा नैतिक साहस है। हिंसा करना बहुत आसान है, लेकिन सच्चा साहस तब है जब आप हिंसा का सामना करते हुए भी शांत रहते हैं। अहिंसा का मतलब यह नहीं कि हम कायर

भारतीय संस्कृति हर मनुष्य के प्रति करुणा, प्रेम और सेवा का मार्ग दिखाती है

  भारतीय संस्कृति का मूलभूत सिद्धांत अहिंसा, सत्य और धर्म पर आधारित है। यह संस्कृति हमें मानवता के प्रति करुणा, प्रेम और सेवा का मार्ग दिखाती है। हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हमारी संस्कृति ने दुनिया को अनेक मूल्यों

प्रेम और विवाह का आधार जाति नहीं मानवता होनी चाहिए।

अंतर-जातीय विवाह समाज में जातिगत भेदभाव को समाप्त करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। जब तक हम जातियों के बीच विवाह को स्वीकार नहीं करते, तब तक समाज में जातिगत भेदभाव बना रहेगा। जाति के आधार पर विवाह न करने की परंपरा,

मैं प्रेम की शक्ति का उपयोग करूंगा।

  मैं अहिंसा के द्वारा, घृणा के विरुद्ध प्रेम की शक्ति का उपयोग करके लोगों को अपने विचार का बनाकर, आर्थिक समता सम्पादन करूंगा। मैं तब तक ठहरा नहीं रहूंगा जब तक सारे समाज को बदल कर अपने खयाल का न बना

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