प्रेम एक शक्ति है। सच्चा प्रेम केवल शब्दों में नहीं, आचरण में दिखायी देना चाहिए

Gandhi

प्रेम जीवन का सार है। यह केवल एक भावना नहीं, बल्कि एक शक्ति है, जो पूरे ब्रह्मांड को संचालित करती है। प्रेम वह है जो हमारे जीवन को अर्थ देता है और हमें दूसरों के साथ जोड़ता है। सच्चा प्रेम वह नहीं जो केवल शब्दों में हो, बल्कि वह है जो हमारे आचरण में दिखाई दे। जब तक प्रेम में निःस्वार्थता नहीं होती, तब तक वह प्रेम नहीं, केवल आकर्षण होता है।

मैंने अपने जीवन में यह सीखा है कि प्रेम सबसे बड़ी शक्ति है। यह हिंसा और घृणा को भी समाप्त कर सकता है। प्रेम का अर्थ केवल दूसरों के प्रति दया रखना नहीं है, बल्कि यह सत्य के साथ पूर्ण निष्ठा भी है। जब हम प्रेम से प्रेरित होकर कोई कार्य करते हैं, तो उसमें शक्ति और सत्य का मेल होता है।

कई लोग यह मानते हैं कि प्रेम केवल परिवार या मित्रों तक सीमित होता है। लेकिन मेरा विश्वास है कि प्रेम असीमित होता है। प्रेम में कोई सीमा नहीं होती। यह केवल अपने सगे-संबंधियों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह प्रत्येक जीव तक पहुँचना चाहिए। जब हम अपने शत्रुओं से प्रेम करना सीख लेंगे, तब हम सच्चे प्रेम का अर्थ समझ पाएंगे।

प्रेम का सबसे बड़ा रूप आत्म-बलिदान है। यदि हम सच्चा प्रेम करते हैं, तो हम अपने स्वार्थ को त्यागने के लिए तैयार रहते हैं। प्रेम हमें अपने अहंकार से मुक्त करता है और हमें विनम्र बनाता है। यदि हम प्रेम के मार्ग पर चलना चाहते हैं, तो हमें अपने भीतर की नफरत, क्रोध और ईर्ष्या को समाप्त करना होगा। अहिंसा प्रेम का ही दूसरा रूप है। जो व्यक्ति प्रेम करता है, वही अहिंसा का पालन कर सकता है।

प्रेम केवल मीठे शब्द कहने का नाम नहीं है। प्रेम का अर्थ है, दूसरों की सेवा करना, उनकी भलाई के लिए कार्य करना। यदि हम अपने भाई-बहनों से प्रेम करते हैं, तो हमें उनकी पीड़ा का एहसास होना चाहिए और उसे दूर करने का प्रयास करना चाहिए। प्रेम वह दीपक है, जो अंधकार में प्रकाश फैलाता है। यदि हम इस दीपक को अपने जीवन में जलाए रखें, तो हमारे जीवन से सभी दुख और भय दूर हो सकते हैं।

          हरिजन, 17 मार्च 1936