‘पत्नी पति की दासी नहीं है, बल्कि उसकी जीवन संगिनी और सहायक है’

“पत्नी पति की दासी नहीं है, बल्कि उसकी जीवन संगिनी और सहायक है और उसके तमाम सुख-दुख में बराबर का हिस्सा बँटाने वाली है। वह स्वयं अपना मार्ग चुनने को उतनी ही स्वतंत्र है जितना उसका पति।  मैं बाल विवाह से घृणा

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