ज़ाकिर हुसैन: एक था जादूगर

प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि भारत के करोड़ों लोगों ने टेबल को ज़ाकिर हुसैन के नाम से ही जाना है। भारत में यह वाद्ययंत्र बिना जाकिर हुसैन के अधूरा है। 15 दिसंबर की रात यह फनकार इस धरती से विदा हो गया।

‘एक देश, एक चुनाव’: मोदी सरकार की एक साजिश?

‘एक देश, एक चुनाव’ (One Nation, One Election) विधेयक मंत्रिपरिषद से पास हो चुका है। आज इसे लोकसभा में पेश किया जाएगा।’एक देश, एक चुनाव’ के पीछे मोदी सरकार की मंशा को लेकर अलग-अलग दृष्टिकोण सामने आते हैं। इसके समर्थक इसे विकास

हिंसा के रास्ते शांति स्थापित करना, एक असंभव विचार है।

शांति केवल बाहरी स्थिति का नाम नहीं है, यह एक आंतरिक अवस्था है। यह हमारे हृदय में बसती है। यदि हम हिंसा को अपनाकर शांति स्थापित करना चाहते हैं, तो यह एक असंभव विचार है। हिंसा से केवल अस्थायी समाधान मिलता है,

शिक्षा वही ठीक है जो आपके सर्वोत्तम गुणों को सामने लेकर आये।

शिक्षा केवल बुद्धि को विकसित करने का नाम नहीं है; यह हृदय और आत्मा की जागृति का भी माध्यम है। मेरा मानना है कि एक सच्ची शिक्षा वही है जो हमारे भीतर के सर्वोत्तम गुणों को सामने लाए। इस शिक्षा का लक्ष्य

अक्टूबर में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) मुद्रास्फीति 2.4% तक पहुंची, बढ़ी कीमतों के बीच चिंता

भारत में अक्टूबर महीने के लिए थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित मुद्रास्फीति दर 2.4% तक पहुंच गई है, जो सितंबर में 1.9% थी। यह वृद्धि मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों और ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई है। इस

नेहरू और आइंस्टीन: साझा वैश्विक दृष्टिकोण

जवाहरलाल नेहरू और अल्बर्ट आइंस्टीन के बीच कुछ दिलचस्प और ऐतिहासिक संबंध थे, जो उनकी समान विचारधारा, शांति के प्रति प्रतिबद्धता और विज्ञान के प्रति प्रेम को दर्शाते हैं। यहां उनके रिश्ते के कुछ महत्वपूर्ण और दिलचस्प पहलू हैं: शांतिवादी दृष्टिकोण: नेहरू

बच्चों को सत्य, अहिंसा, सहनशीलता और करुणा का अभ्यास करायें।

शिक्षा का असली मकसद केवल अकादमिक ज्ञान नहीं है, बल्कि यह हमारे चरित्र का निर्माण करती है। हमें बच्चों को सत्य, अहिंसा, करुणा और सहनशीलता जैसे गुणों का अभ्यास कराना चाहिए। शिक्षा का यह कार्य केवल शिक्षकों का नहीं, बल्कि हर व्यक्ति

राजनीति में धर्म का प्रयोग समाज को विभाजित करने के लिए नहीं होना चाहिए

धर्म और राजनीति का संबंध बहुत ही नाजुक है। मेरा मानना है कि राजनीति का आधार नैतिकता और धर्म होना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम धर्म के नाम पर भेदभाव करें। धर्म का उद्देश्य मानवता की सेवा करना है,

हमें किसी भी धर्म के प्रति पूर्वग्रह नहीं रखना चाहिए।

सभी धर्म एक ही सत्य के विभिन्न रूप हैं। हमें किसी भी धर्म के प्रति पूर्वग्रह नहीं रखना चाहिए। सच्ची धार्मिकता वह है जो हमें अन्य धर्मों का सम्मान करना सिखाती है और हमें मानवता की सेवा की ओर प्रेरित करती है।

हिंसा कमज़ोरी की निशानी है और यह आपको आपकी आत्मा से दूर कर देती है

अहिंसा कमजोरी की निशानी नहीं है, बल्कि यह सबसे बड़ा नैतिक साहस है। हिंसा करना बहुत आसान है, लेकिन सच्चा साहस तब है जब आप हिंसा का सामना करते हुए भी शांत रहते हैं। अहिंसा का मतलब यह नहीं कि हम कायर

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