विजय शाह विवाद: कर्नल सोफिया कुरैशी पर टिप्पणी, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, और SIT जांच का पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई में SIT की स्टेटस रिपोर्ट के आधार पर मामले की दिशा तय होगी। कोर्ट यह तय कर सकता है कि क्या शाह के खिलाफ FIR और जांच आगे बढ़ेगी या उन्हें कोई राहत मिलेगी। साथ ही, यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट शाह की बार-बार की माफी और उनके संवैधानिक पद को लेकर क्या रुख अपनाता है।

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28 मई 2025: मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कुंवर विजय शाह का कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिया गया विवादित बयान आज देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई आज होनी है, जहां विशेष जांच दल (SIT) द्वारा सौंपी गई स्टेटस रिपोर्ट पर बहस होगी। इस लेख में हम इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं, जिसमें विजय शाह की टिप्पणी, कानूनी कार्रवाई, और राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का जिक्र है।

मामले की शुरुआत: कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित टिप्पणी

मध्य प्रदेश सरकार में जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह ने 11 मई 2025 को इंदौर जिले के रायकुंडा गांव में एक हलमा कार्यक्रम के दौरान भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। कुरैशी, जो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना की कार्रवाई की जानकारी मीडिया को दे रही थीं, को शाह ने कथित तौर पर “आतंकवादियों की बहन” कहा था। विजय शाह ने घटिया भाषा का इस्तेमाल करते हुए कहा कि-

“उन्होंने कपड़े उतार-उतार कर हमारे हिंदुओं को मारा और पीएम मोदी ने उनकी बहन को उनकी ऐसी की तैसी करने उनके घर भेजा। अब मोदी जी कपड़े तो उतार नहीं सकते। इसलिए उनकी समाज की बहन को भेजा, कि तुमने हमारी बहनों को विधवा किया है, तो तुम्हारे समाज की बहन आकर तुम्हें नंगा करके छोड़ेगी। देश का मान-सम्मान और हमारी बहनों के सुहाग का बदला तुम्हारी जाति, समाज की बहनों को पाकिस्तान भेजकर ले सकते हैं।”

 

इस बयान ने न केवल सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया, बल्कि इसे सेना का अपमान माना गया, जिसके बाद मामला मध्य प्रदेश हाई कोर्ट तक पहुंचा।

हाई कोर्ट का स्वत: संज्ञान और FIR

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 14 मई 2025 को इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया। जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने शाह के बयान को “गटरछाप भाषा” और “कैंसर जैसा घातक” करार देते हुए इसे सशस्त्र बलों का अपमान बताया। कोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) को चार घंटे के भीतर विजय शाह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाला कृत्य), 196(1)(b) (समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), और 197(1)(c) (शत्रुता या घृणा पैदा करने वाली टिप्पणी) के तहत FIR दर्ज करने का आदेश दिया।

मानपुर पुलिस ने उसी रात 11 बजे शाह के खिलाफ FIR दर्ज की, लेकिन हाई कोर्ट ने इस FIR की भाषा को “खानापूर्ति” बताते हुए जांच की निगरानी स्वयं करने का निर्णय लिया, ताकि यह सुनिश्चित हो कि जांच किसी दबाव में प्रभावित न हो।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका और फटकार

FIR दर्ज होने के बाद विजय शाह ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। 15 मई 2025 को उनकी याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई की पीठ ने शाह को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा, “आप एक संवैधानिक पद पर हैं। ऐसे संवेदनशील समय में आपको अपनी भाषा की मर्यादा रखनी चाहिए।” शाह के वकील ने दलील दी कि उनके बयान को मीडिया ने तोड़-मरोड़कर पेश किया और उन्होंने माफी मांग ली है, लेकिन कोर्ट ने इसे “मगरमच्छ के आंसू” करार देते हुए माफी को अस्वीकार कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को सुनवाई को स्थगित करते हुए मध्य प्रदेश DGP को तीन वरिष्ठ IPS अधिकारियों की SIT गठित करने का आदेश दिया। इस SIT में IG सागर जोन प्रमोद वर्मा, DIG SAF कल्याण चक्रवर्ती, और SP डिंडोरी वाहिनी सिंह शामिल हैं। कोर्ट ने SIT को 28 मई तक अपनी स्टेटस रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।

SIT जांच और स्टेटस रिपोर्ट

SIT ने अपनी जांच शुरू की और 27 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट में अपनी स्टेटस रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में रायकुंडा गांव के हलमा कार्यक्रम के दौरान मंच पर मौजूद व्यक्तियों के बयान और मानपुर थाने से संबंधित दस्तावेज शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट में आज (28 मई 2025) होने वाली सुनवाई में इस रिपोर्ट के आधार पर बहस होगी, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ मामले की सुनवाई करेगी।

विजय शाह की माफी और ‘अंडरग्राउंड’ होने की खबरें

विवाद बढ़ने के बाद विजय शाह ने कई बार सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। 23 मई को उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पत्र और वीडियो जारी कर “हाथ जोड़कर” माफी मांगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी माफी को स्वीकार नहीं किया। इसके साथ ही, 15 मई के बाद शाह के “अंडरग्राउंड” होने की खबरें भी सामने आईं, जिसमें कहा गया कि उनके भोपाल और खंडवा स्थित आवास और कार्यालयों पर सन्नाटा पसरा है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और इस्तीफे की मांग

इस मामले ने मध्य प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। कांग्रेस ने शाह के इस्तीफे की मांग को लेकर भोपाल में राजभवन के बाहर धरना-प्रदर्शन किया और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि शाह का बयान सेना और देश का अपमान है।

यहां तक कि बीजेपी की वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी शाह की बर्खास्तगी की मांग की। उन्होंने X पर लिखा,

“मेरे सगे भाई जैसे प्रिय मंत्री को या तो हम बर्खास्त करें या वह इस्तीफा दे दें, क्योंकि उनका असभ्य कथन हम सबको शर्मिंदा कर रहा है।”

हालांकि, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मामले पर टिप्पणी करने से बचते हुए कहा, “छोड़ो-छोड़ो, हो गया हो गया।” बीजेपी की ओर से अभी तक शाह के खिलाफ कोई औपचारिक कार्रवाई नहीं की गई है, और उनके इस्तीफे की संभावना भी कम बताई जा रही है।

सामाजिक और कानूनी बहस

यह मामला केवल कानूनी दायरे तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने सामाजिक और नैतिक सवाल भी उठाए हैं। सोशल मीडिया पर कई लोग शाह की टिप्पणी को सेना के अपमान के साथ-साथ सांप्रदायिक और लैंगिक भेदभाव से जोड़कर देख रहे हैं। दूसरी ओर, अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान मेहमूदाबाद को उसी सैन्य अधिकारी के बारे में आपत्तिजनक पोस्ट के लिए जेल भेजे जाने की तुलना में शाह को गिरफ्तारी से राहत मिलने पर सवाल उठ रहे हैं।

MP CM mohan yadav

आज की सुनवाई से क्या उम्मीदें?

सुप्रीम कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई में SIT की स्टेटस रिपोर्ट के आधार पर मामले की दिशा तय होगी। कोर्ट यह तय कर सकता है कि क्या शाह के खिलाफ FIR और जांच आगे बढ़ेगी या उन्हें कोई राहत मिलेगी। साथ ही, यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट शाह की बार-बार की माफी और उनके संवैधानिक पद को लेकर क्या रुख अपनाता है।

विजय शाह का कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिया गया बयान न केवल एक व्यक्तिगत विवाद है, बल्कि यह संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की जिम्मेदारी और भाषा की मर्यादा का सवाल भी उठाता है। सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला न केवल इस मामले की दिशा तय करेगा, बल्कि भविष्य में इस तरह के बयानों पर कानूनी और राजनीतिक जवाबदेही के लिए एक मिसाल भी कायम कर सकता है।