अमेरिकी फेडरल कोर्ट ने ट्रंप के ज़्यादातर टैरिफ को खारिज किया, भारत को व्यापार वार्ता से पहले बड़ी राहत

हालांकि यह अदालत सर्वोच्च नहीं है — अमेरिका में सर्वोच्च न्यायिक अधिकार यूएस सुप्रीम कोर्ट के पास होता है — लेकिन फेडरल कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड के फैसले कानूनी रूप से बाध्यकारी होते हैं और अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर इनका गहरा प्रभाव पड़ता है।

अमेरिका की एक विशेष फेडरल अदालत — कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड — ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए ज़्यादातर व्यापारिक टैरिफ को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। इस फैसले को भारत के लिए एक बड़ी राहत माना जा रहा है, खासकर उस समय जब 5-6 जून को अमेरिका और भारत के बीच व्यापार वार्ता होनी है।

क्या है यह अदालत?

यह अदालत अमेरिका की संघीय (फेडरल) न्याय प्रणाली का हिस्सा है और विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय व्यापार, टैरिफ, सीमा शुल्क और आयात-निर्यात से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए बनाई गई है।
हालांकि यह अदालत सर्वोच्च नहीं है — अमेरिका में सर्वोच्च न्यायिक अधिकार यूएस सुप्रीम कोर्ट के पास होता है — लेकिन फेडरल कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड के फैसले कानूनी रूप से बाध्यकारी होते हैं और अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर इनका गहरा प्रभाव पड़ता है।

विशेषता भारत अमेरिका
सबसे ऊंची अदालत सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट (U.S. Supreme Court)
फेडरल/संघीय न्याय प्रणाली नहीं (भारत में केंद्र और राज्य की अदालतों में अलगाव नहीं है) हां, पूरी तरह संघीय व्यवस्था — राज्य और केंद्र की अलग-अलग अदालतें
व्यापारिक विवादों के लिए विशेष अदालत मुख्य रूप से हाई कोर्ट या ट्रिब्यूनल्स (जैसे CESTAT) United States Court of International Trade (अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जुड़ी विशेष फेडरल अदालत)
इस कोर्ट का काम सीमाशुल्क, GST, व्यापार विवाद आदि का निपटारा टैरिफ, आयात-निर्यात, सीमा शुल्क और व्यापारिक कानूनों पर निर्णय
क्या सुप्रीम कोर्ट से नीचे है? हां हां — कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड, फेडरल कोर्ट सिस्टम का हिस्सा है, सुप्रीम कोर्ट से नीचे
क्या अपील संभव है? हां, सुप्रीम कोर्ट तक जा सकती है हां, फैसले के खिलाफ अपील U.S. Court of Appeals और फिर Supreme Court तक जा सकती है

क्या है मामला?

2 अप्रैल को राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत से आने वाले कुछ उत्पादों पर 26% तक का टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। उन्होंने इसका आधार “राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियाँ” बताया था। हालांकि, अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि ट्रंप के पास इस कानून के तहत इतने व्यापक शुल्क लगाने का अधिकार नहीं है।

भारत को क्यों मिली राहत?

भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापार समझौते पर बातचीत लंबे समय से जारी है। भारत पहले ही वार्ता के लिए तैयार था, लेकिन टैरिफ बढ़ाए जाने से माहौल तनावपूर्ण हो गया था। अब, अदालत के फैसले के बाद अमेरिका का दबाव कम होगा और भारत को बातचीत में मोलभाव करने में आसानी होगी।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत अब 8 जुलाई से पहले एक अंतरिम व्यापार समझौता करने के प्रयास में है — क्योंकि ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ अस्थायी रूप से उसी तारीख तक स्थगित किए गए हैं।

अमेरिका की फेडरल कोर्ट का यह फैसला न सिर्फ ट्रंप प्रशासन के लिए एक झटका है, बल्कि भारत जैसे साझेदार देशों के लिए एक कूटनीतिक अवसर भी है। आगामी वार्ता में अब भारत अपनी बातचीत को मजबूत तरीके से रख सकेगा ताकि भारत के आर्थिक हित सुनिश्चित हो सकें।