हिमाचल में महिला ने किया दो भाइयों से विवाह, ‘द्रौपदी प्रथा’ से फिर छिड़ी यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर बहस

सुनीता के अनुसार, वह इस परंपरा के बारे में पहले से जानती थीं और दोनो भाइयों से शादी करने का निर्णय उन्होंने बिना किसी दबाव के लिया है

हिमाचल प्रदेश के एक दुर्लभ विवाह समारोह ने पूरे देश में समान नागरिक संहिता(UCC) पर बहस छेड़ दी है। इस विवाह में एक महिला, सुनीता, ने दो भाइयों(प्रदीप और कपिल) को पति के रूप में स्वीकार किया है। यह विवाह सिरमौर जिले की हाटी जनजाति से संबंधित है, जहां ‘द्रौपदी प्रथा’ नामक परंपरा के तहत एक महिला एक से अधिक भाइयों से विवाह करती है। इस प्रथा की तुलना अक्सर महाभारत की द्रौपदी से की जाती है, और यह प्रथा क्षेत्रीय गरीबी, भूमि के बंटवारे से बचाव और पारिवारिक एकता बनाए रखने के उद्देश्य से निभाई जाती है।

सुनीता के अनुसार, वह इस परंपरा के बारे में पहले से जानती थीं और दोनो भाइयों से शादी करने का निर्णय उन्होंने बिना किसी दबाव के लिया है।उन्होंने यह भी कहा कि उन तीनों के बीच एक आपसी बांड बन चुका है, जिसे वह सम्मान देती हैं।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना सिरमौर और किन्नौर जिलों में प्रचलित एक सामाजिक-सांस्कृतिक परंपरा को उजागर करती है। सोशल मीडिया पर खबर के वायरल होते ही लोगों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कुछ यूज़र्स ने इसे भारतीय संस्कृति की विविधता का उदाहरण बताया, जबकि कुछ ने महिला के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर सवाल उठाए।

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इस विवाह पर तंज कसा और यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर कटाक्ष करते हुए कहा, “UCC को यहां लागू करना मज़ेदार होगा।”

उनका यह बयान एक व्यापक राजनीतिक और संवैधानिक बहस को हवा देता है, क्योंकि भारत सरकार UCC लागू करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। ज्ञात हो कि UCC का विचार सबसे पहले डॉ. बी.आर. अंबेडकर और पंडित नेहरू द्वारा प्रस्तावित किया गया था, ताकि देश में सभी धर्मों के लिए विवाह, तलाक, संपत्ति और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर एक समान कानून हो।

हालांकि हिमाचल जैसे राज्यों में, जहां आदिवासी रीति-रिवाज़ संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत संरक्षित हैं, वहां UCC के क्रियान्वयन को लेकर संवैधानिक और सांस्कृतिक बाधाएं सामने आती हैं। इस विवाह के बाद न तो हिमाचल सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया आई है और न ही इस पर कोई स्पष्ट नीति बयान जारी हुआ है।