DNA मरम्मत में वैज्ञानिकों की बड़ी खोज: कैंसर और बुढ़ापे से लड़ने की नई उम्मीद

यह खोज न केवल कैंसर थेरेपी को अधिक प्रभावशाली बना सकती है, बल्कि बुढ़ापे को धीमा करने और तंत्रिका रोगों से लड़ने में भी उपयोगी साबित हो सकती है।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (NTU Singapore) के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। उन्होंने यह पता लगाया है कि किस तरह कोशिकाएं डीएनए में होने वाले एक बेहद खतरनाक नुकसान — डीएनए-प्रोटीन क्रॉसलिंक्स (DPCs) — को पहचानकर उसकी मरम्मत करती हैं। ये DPCs असामान्य प्रोटीन होते हैं जो डीएनए से चिपक जाते हैं और उसकी कॉपी करने (replication) की प्रक्रिया को बाधित करते हैं। यदि समय रहते इनकी मरम्मत न की जाए, तो ये कैंसर, तंत्रिका-अपघटन (neurodegeneration) और समय से पहले बुढ़ापाजैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

 Nucleic Acids Research में प्रकाशित शोध में बताया गया है कि कैसे SPRTN नामक एक मरम्मत एंजाइम इन DPCs को पहचानकर उन्हें तोड़ता है। वैज्ञानिकों ने इस एंजाइम के भीतर एक नया क्षेत्र (region) खोजा है, जिससे इसकी मरम्मत क्षमता 67 गुना तक बढ़ जाती है — और यह केवल DPCs को निशाना बनाता है, जबकि स्वस्थ डीएनए को कोई नुकसान नहीं पहुंचता।

हर बार जब एक कोशिका दो में विभाजित होती है, तो उसे अपने पूरे डीएनए की सटीक प्रति बनानी होती है। यह प्रक्रिया बेहद जटिल समन्वय पर निर्भर करती है। ऐसे में अगर डीएनए के साथ DPCs जुड़ जाएं, तो यह प्रक्रिया रुक जाती है। इसलिए यह समझना कि शरीर इन DPCs को कैसे पहचानता और नष्ट करता है, जीनोम (genome integrity) को बनाए रखने के लिए बेहद ज़रूरी है।

इस अध्ययन का नेतृत्व NTU सिंगापुर के प्रोफेसर क्रिस्टिजन रमादान ने किया, जो कैंसर और स्टेम सेल बायोलॉजी के विशेषज्ञ हैं और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ऑन्कोलॉजी विभाग में सीनियर रिसर्चर भी हैं।

यह खोज न केवल कैंसर थेरेपी को अधिक प्रभावशाली बना सकती है, बल्कि बुढ़ापे को धीमा करने और तंत्रिका रोगों से लड़ने में भी उपयोगी साबित हो सकती है।