हज़ारों करोड़ रुपये से निर्मित नयी संसद की सुरक्षा में सेंध लग गई, कुछ अनजान लोग सदन के अंदर घुस आये। सरकार का सुरक्षा तंत्र विफल हो गया। सरकार को ख़ासकर प्रधानमंत्री या गृहमंत्री को इस पर स्वयं जवाब दे देना चाहिए लेकिन सरकार ने इसे पूरी तरह से अनदेखा कर दिया मानो कोई घटना ही ना घाटी हो, मानो यह सेंध किसी आम बिल्डिंग में हुई हो।
जब सरकार स्वयं जवाब देने नहीं आयी तो विपक्ष के सांसदों ने तय किया कि वो सरकार से उसकी नाकामी को लेकर जवाब देने के लिए बाध्य करेगी। सांसदों ने गृहमंत्री से जवाब का आग्रह किया। सुनवाई नहीं हुई तो नारे लगाये, विरोध किया, शोर किया। इस पर भी गृहमंत्री जवाब देने नहीं आए। विपक्ष ने शोर और विरोध बढ़ा दिया। शांतिपूर्ण प्रदर्शन का नतीजा यह हुआ ऐतिहासिक रूप से संसद के दोनों सदनों से 92 सांसदों को अपने अपने सदनों से निलंबित कर दिया गया।
नीचे कुछ तस्वीरें हैं जिसमें कई निलंबित हुए सांसद अपना लोकतांत्रिक विरोध दर्शा रहे हैं।