‘मैं बाल विवाह से घृणा करता हूँ’: महात्मा गाँधी

बाल विवाह को लेकर गाँधी जी का 'डर' और 'दर्द' एक रूप धारण कर लेते हैं।

gandhi

मैं बाल-विवाहों से घृणा करता हूँ। मैं बाल-विधवा को देखकर काँप उठता हूँ और जब किसी पति को विधुर बनते ही पाशविक उपेक्षा के साथ पुनर्विवाह करते देखता हूँ, तो क्रोध के मारे काँपने लगता हूँ। मुझे उन माता-पिताओं की अपराधपूर्ण उपेक्षा पर दुःख होता है, जो अपनी लड़कियों को सर्वथा अज्ञान और निरक्षर रखते है और उनका पालन-पोषण सिर्फ इस गरज से करते हैं कि किसी साधन-संपन्‍न युवक से उनका ब्याह कर दिया जाय।

 

यंग इंडिया, 21/07/1921