कुछ लोगों का कहना है कि पं. जवाहरलाल और मैं अलग-अलग थे। हमें अलग करने के लिए वैचारिक मतभेदों से भी अधिक कुछ होना चाहिए। हम जिस पल से सहकर्मी बने, हमारे तीन वैचारिक मतभेद तभी से हैं। फिर भी, मैं कुछ वर्षों पहले कह चुका हूँ और अभी भी कहता हूँ कि न तो राजाजी, न ही सरदार वल्लभभाई, बल्कि जवाहरलाल मेरे उत्तराधिकारी होंगे।आप छड़ी मारकर पानी अलग नहीं कर सकते हैं। हमें अलग करना कठिन है…जब मैं चला जाऊँगा, तब वे मेरी भाषा बोलेंगे।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी अधिवेशन,वर्धा में गांधीजी की घोषणा
(जनवरी, 1942)