रतन टाटा का निधन: भारत ने खो दिया अपना महान उद्योगपति

भारत के महान उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष, रतन टाटा का निधन हो गया। देश भर में इस खबर से गहरा शोक फैला हुआ है। रतन टाटा, जिन्हें आधुनिक भारत के निर्माण में उनके योगदान के लिए जाना जाता है, 86 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह गए।

उनका निधन भारतीय उद्योग और सामाजिक सेवा क्षेत्र के लिए एक बड़ी क्षति है। प्रधानमंत्री और देश की तमाम हस्तियों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि रतन टाटा एक दूरदर्शी व्यक्ति थे। उन्होंने व्यवसाय और परोपकार दोनों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है।

मैं उनके परिवार और टाटा समुदाय के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ।

https://x.com/RahulGandhi/status/1844085234947743840?t=sVDCHazPwWgTnbqiAv7dbw&s=08

कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि श्री रतन नवल टाटा के निधन से हमने भारत के एक अमूल्य सपूत को खो दिया है। एक उत्कृष्ट परोपकारी व्यक्ति, जिनकी भारत के समावेशी विकास और प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता सर्वोपरि थी, श्री टाटा स्पष्ट निष्ठा और नैतिक नेतृत्व के पर्याय थे।

वह लाखों लोगों के लिए प्रेरणा और आदर्श थे तथा उन्होंने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

उन्होंने कहा कि उनके प्रियजनों और प्रशंसकों के प्रति हमारी संवेदना।

https://x.com/kharge/status/1844085924860395584?t=WUudkhAZZzvBFZfJCrxrtA&s=08

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। वे टाटा परिवार के प्रतिष्ठित सदस्य थे और उन्हें टाटा समूह की कमान संभालने का गौरव प्राप्त हुआ। उन्होंने 1991 में जेआरडी टाटा से अध्यक्ष का पदभार संभाला और तब से लेकर 2012 तक टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने ना सिर्फ भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई। टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और टाटा टेलीसर्विसेज जैसी कंपनियों को वैश्विक पहचान दिलाने में रतन टाटा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई बड़े अधिग्रहण किए, जिनमें 2008 में जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण विशेष रूप से उल्लेखनीय है। रतन टाटा ने हमेशा सामाजिक उत्थान और देश की भलाई को प्राथमिकता दी। उन्होंने टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

रतन टाटा को उनकी सादगी और उच्च मानवीय मूल्यों के लिए भी जाना जाता था। उन्होंने कभी भी अपने व्यक्तिगत हितों को कंपनी या समाज के हितों से ऊपर नहीं रखा। टाटा नैनो जैसी परियोजनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि वे भारत के आम लोगों के जीवन को सुधारने के लिए हमेशा प्रयासरत रहे।

उनके निधन के बाद देशभर में उनको श्रद्धांजलि दी जा रही है। वे न केवल एक सफल उद्योगपति थे, बल्कि वे भारतीय समाज के एक मार्गदर्शक प्रकाशस्तंभ भी थे।