पंचकूला में 7 लोगों की सामूहिक आत्महत्या: आर्थिक तंगी और सुसाइड नोट से खुलासा

परिवार मूल रूप से उत्तराखंड के देहरादून का रहने वाला था और हाल ही में बागेश्वर धाम में एक धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद पंचकूला आया था।

panchkula suicide

पंचकूला के सेक्टर 27 में एक बंद कार में सात लोगों के शव पाए गए। पुलिस को रात करीब 12 बजे सूचना मिली कि एक कार में कुछ लोग संदिग्ध अवस्था में बैठे हैं। जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो उन्होंने देखा कि कार के अंदर सभी लोग अचेत अवस्था में हैं। उन्हें तुरंत ओजस अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

मृतकों की पहचान

पुलिस के अनुसार, मृतकों की पहचान निम्नलिखित रूप में हुई है:

  • प्रवीण मित्तल (व्यवसायी)
  • रीना मित्तल (पत्नी)
  • देशराज मित्तल (पिता)
  • विमला मित्तल (माता)
  • हार्दिक मित्तल (14 वर्षीय पुत्र)
  • ध्रुविका मित्तल (11 वर्षीय पुत्री)
  • दलिशा मित्तल (11 वर्षीय पुत्री)

यह परिवार मूल रूप से उत्तराखंड के देहरादून का रहने वाला था और हाल ही में बागेश्वर धाम में एक धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद पंचकूला आया था।

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आत्महत्या का संदेह

पुलिस को कार से एक दो पन्नों का सुसाइड नोट मिला, जिसमें प्रवीण मित्तल ने लिखा:

“मैं दिवालिया हो गया हूँ। इसके लिए मैं ही जिम्मेदार हूँ। मेरे ससुर को परेशान न किया जाए। मेरे परिवार के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी मेरे चचेरे भाई को सौंपी जाए।”

पुलिस के अनुसार, प्रारंभिक जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत होता है, जिसमें परिवार ने आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव के चलते यह कदम उठाया।

स्थानीय समुदाय इस घटना से स्तब्ध है। पड़ोसियों और स्थानीय निवासियों ने बताया कि परिवार कुछ समय से तनाव में था, लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा था कि स्थिति इतनी गंभीर हो सकती है। पुलिस ने बताया कि परिवार के मुखिया के ससुराल पक्ष से भी कोई संपर्क नहीं था, जिससे उनकी सामाजिक स्थिति और भी जटिल हो गई थी।

मानसिक स्वास्थ्य और आर्थिक दबाव

यह घटना एक बार फिर से मानसिक स्वास्थ्य और आर्थिक दबाव के बीच के संबंध को उजागर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक तंगी और सामाजिक अलगाव मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे व्यक्ति आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हो सकता है। इसलिए, समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और समर्थन प्रणाली का होना अत्यंत आवश्यक है।क्योंकि यह ऐसी कोई पहली घटना नहीं है। पहले भी ऐसी ही कई घटनाएं घट चुकी हैं जिन्होंने समाज को झकझोर के रख दिया था।

बुराड़ी सामूहिक आत्महत्या (दिल्ली, 2018)

1 जुलाई 2018 को दिल्ली के बुराड़ी इलाके में चुंडावत परिवार के 11 सदस्य मृत पाए गए। 10 लोगों ने फांसी लगाई थी, जबकि 80 वर्षीय दादी की गला घोंटकर हत्या की गई थी। पुलिस जांच में यह सामने आया कि परिवार ने एक धार्मिक अनुष्ठान के तहत यह कदम उठाया था। यह घटना मानसिक स्वास्थ्य और अंधविश्वास के खतरनाक मेल का उदाहरण बनी। 

पंचकूला की यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे हम अपने आसपास के लोगों की मदद कर सकते हैं, खासकर जब वे आर्थिक या मानसिक संकट से गुजर रहे हों। समाज को चाहिए कि वह ऐसे लोगों की पहचान करे और उन्हें समय पर सहायता प्रदान करे, ताकि ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सके।