Bihar Politics: तेज प्रताप यादव को लालू प्रसाद यादव ने पार्टी और परिवार से निकाला, 6 साल के लिए निष्कासन

तेज प्रताप यादव का राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन शुरू से ही विवादों में रहा है। वर्ष 2018 में उनकी शादी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय की पोती और चंद्रिका राय की पुत्री ऐश्वर्या राय से हुई थी। यह विवाह कुछ ही महीनों में विवादों में आ गया और तलाक की नौबत आ गई।

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राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने अपने ज्येष्ठ पुत्र तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से बाहर करने की घोषणा की है। रविवार को जारी एक औपचारिक बयान में लालू यादव ने कहा कि तेज प्रताप के निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अनदेखी तथा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार पार्टी की प्रतिष्ठा और पारिवारिक मूल्यों के विरुद्ध है। इसी आधार पर उन्हें पार्टी से छह वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया गया है।

लालू यादव का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब तेज प्रताप यादव के निजी जीवन को लेकर सोशल मीडिया पर लगातार चर्चाएं हो रही हैं, और हाल ही में एक युवती के साथ उनकी नज़दीकी को लेकर भी कई सवाल खड़े हुए हैं।

लालू यादव का पूरा बयान

लालू यादव ने सार्वजनिक रूप से X पर जारी अपने बयान में कहा:

“निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमजोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। अतएव उपरोक्त परिस्थितियों के चलते उसे पार्टी और परिवार से दूर करता हूँ। अब से पार्टी और परिवार में उसकी किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं रहेगी। उसे पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया जाता है।”

लालू यादव ने यह भी स्पष्ट किया कि तेज प्रताप अब अपनी ज़िंदगी के फैसले खुद लें, और जो भी व्यक्ति उनसे संबंध रखे, वह स्वविवेक से निर्णय लें।

तेज प्रताप का विवादों से नाता

तेज प्रताप यादव का राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन शुरू से ही विवादों में रहा है। वर्ष 2018 में उनकी शादी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय की पोती और चंद्रिका राय की पुत्री ऐश्वर्या राय से हुई थी। यह विवाह कुछ ही महीनों में विवादों में आ गया और तलाक की नौबत आ गई।

तेज प्रताप पर ऐश्वर्या राय ने मानसिक प्रताड़ना और असामाजिक व्यवहार जैसे गंभीर आरोप लगाए थे, जबकि तेज प्रताप ने इसे ‘राजनीतिक षड्यंत्र’ कहा। यह मामला कोर्ट और मीडिया में लंबे समय तक छाया रहा।

नए विवाद की पृष्ठभूमि

हाल ही में तेज प्रताप यादव एक युवती के साथ सार्वजनिक कार्यक्रमों और सोशल मीडिया पोस्ट्स में लगातार नज़र आ रहे थे। तस्वीरों और वीडियो के वायरल होने के बाद यह कयास लगाए जाने लगे कि वे संभवतः किसी नए रिश्ते में हैं।

हालांकि तेज प्रताप ने इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन परिवार के भीतर इसको लेकर नाराज़गी की बातें सामने आती रहीं। सूत्रों के अनुसार, इस घटनाक्रम के बाद ही लालू यादव ने कड़ा रुख अपनाया।

राजनीतिक विश्लेषण: तेजस्वी को सीधी राह

इस फैसले को राजद के भीतर नेतृत्व को स्पष्ट करने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है। तेजस्वी यादव पहले से ही पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेज प्रताप का लगातार गैर-राजनीतिक और अप्रत्याशित आचरण पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा रहा था।

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. रंजन कुमार का कहना है,

“यह निर्णय सिर्फ पारिवारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक भी है। तेजस्वी को केंद्र में रखने और पार्टी को अनुशासित करने का यह सीधा संकेत है।”

सार्वजनिक प्रतिक्रिया

लालू यादव के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने इसे “साहसिक और नैतिक” कदम बताया, वहीं कुछ ने इसे “पारिवारिक संघर्ष का सार्वजनिक प्रदर्शन” करार दिया।

जन अधिकार पार्टी के नेता पप्पू यादव ने ट्वीट कर कहा,

“न्याय और नीति के लिए अपनों पर भी कठोर निर्णय लेना एक बड़ा उदाहरण है। लेकिन उम्मीद है कि तेज प्रताप आत्ममंथन करेंगे।”

वहीं कई राजद समर्थकों ने तेज प्रताप को “बिंदास लेकिन भटकाव का शिकार नेता” बताया और उनकी वापसी की कामना की।

तेज प्रताप की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं

अब तक तेज प्रताप यादव ने इस फैसले पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि हालिया इंटरव्यू में उन्होंने यह जरूर कहा था कि,

“मैं किसी के दबाव में नहीं चलता। मेरा रास्ता अलग है।”

यह बयान कहीं न कहीं आने वाले तनाव की भूमिका तैयार कर रहा था।

क्या तेज प्रताप अब अलग राह चुनेंगे?

तेज प्रताप यादव का राजनीतिक भविष्य इस निर्णय के बाद अनिश्चित हो गया है। कुछ विश्लेषक मानते हैं कि वे एक स्वतंत्र राजनीतिक मंच बनाने की कोशिश कर सकते हैं, जबकि कुछ का मानना है कि वह राजनीति से दूरी बनाकर निजी जीवन में ध्यान देंगे।

राजनीति से इतर, तेज प्रताप एक समय अपने फिल्मी शौक, कृष्ण भक्ति और योग से भी सुर्खियों में रहे हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि निष्कासन के बाद उनका अगला कदम क्या होगा।

लालू यादव द्वारा तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से बाहर करना न केवल राजद की आंतरिक राजनीति को पुनर्गठित करने की कोशिश है, बल्कि यह एक मजबूत सामाजिक और राजनीतिक संदेश भी है कि संगठन और मूल्यों के खिलाफ किसी भी आचरण की कीमत चुकानी पड़ सकती है।

राजनीति में ऐसे फैसले विरले ही देखे जाते हैं, जहां एक पिता अपने पुत्र को संगठन हित में कठोर दंड देता है। यह बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय है, जिसके परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेंगे!