शिक्षा केवल बुद्धि को विकसित करने का नाम नहीं है; यह हृदय और आत्मा की जागृति का भी माध्यम है। मेरा मानना है कि एक सच्ची शिक्षा वही है जो हमारे भीतर के सर्वोत्तम गुणों को सामने लाए। इस शिक्षा का लक्ष्य बालक को आत्मनिर्भर बनाना, उसके भीतर सत्य और अहिंसा के प्रति समर्पण पैदा करना और उसे समाज का उपयोगी सदस्य बनाना होना चाहिए।
नवजीवन, 1930