प्रजातंत्र का अर्थ मैं यह समझा हूँ कि इस तंत्र में नीचे से नीचे और ऊँचे से ऊँचे आदमी को आगे बढ़ने का समान अवसर मिलना चाहिए। लेकिन सिवा अहिंसा के ऐसा कभी हो ही नहीं सकता। संसार में आज कोई भी देश ऐसा नहीं है जहाँ कमजोरों के हक की रक्षा बतौर फ़र्ज़ के होती हो। अगर गरीबों के लिए कुछ किया भी जाता है, तो वह मेहरबानी के तौर पर किया जाता है।
हरिजन सेवक, 18/05/1940