विश्वास, मानव मन में स्थित एक ऐसा स्थान है, जहाँ एक लंबी यात्रा तय करके ही पहुंचा जा सकता है। यदि हम स्वयं को भी किसी बात का भरोसा दिलाना चाहते हैं तो यह यात्रा हमें स्वयं के मन में करनी होती है और यदि यही भरोसा हम किसी अन्य में स्थापित करना चाहें तो यह यात्रा हमें उस अन्य व्यक्ति के मन में करनी होगी। विश्वास तक पहुँचने वाली यह दोनों ही यात्राएं अत्यंत जटिल हैं।
हम चाहें तो इसे मानवीय संवेदनाओं के एक धाम के रूप में परिभाषित कर सकते हैं। वास्तव में जहां यह स्थान स्थित है, वहाँ का बाहरी दृश्य कुछ इस प्रकार है कि, यह एक बंजर भूमि है वहाँ न ही कुछ खाने को मिलेगा और न ही ऐसी कोई छत मिलने वाली है, जहां आप आराम से दो घड़ी विश्राम कर सकें।
दुनिया के अन्य स्थानों की अपेक्षा इस धाम में पहुँचने वाले को यह याद रखना चाहिए कि यह यात्रा सिर्फ यहाँ पहुँचने पर ही समाप्त नहीं होती बल्कि इस स्थान पर पहुँचने के बाद एक और यात्रा शुरू होती है जहाँ आपका अहम, जो यात्रा पूरी करने के बाद पैदा हुआ है, जल्दबाजी में सम्पूर्ण विश्वासस्थल को समेट लेना चाहता है।
आपकी तीव्र गति विश्वासथल के अवशोषण रंध्रों(Absorption pores) को बंद कर देती है और विश्वास में आपका अवशोषण बंद हो जाता है आप सदा के लिए विश्वास स्थल में फंस जाते हैं। लेकिन कभी वहाँ अवशोषित (Absorb) नहीं हो पाते।
पहुंचकर भी न पा पाने की स्थिति आपमें एक हताशा उत्पन्न करती है जो आपको लगातार कमजोर करती रहती है। कमजोरी की इस अवस्था में हममे एक ऐसा दुराग्रह उत्पन्न होता है जो सीधे विश्वास पर ही चोट करता है।इस तरह हम कभी भी इस दोषपूर्ण (Vicious) साइकिल से बाहर नहीं आ पाते।
बात चाहे विज्ञान पर भरोसे की हो या परमतत्व पर या फिर बात चाहे खुद की ही किसी काबिलियत पर विश्वास की क्यों न हो। वास्तव में यह धाम, यह स्थान, आप पर सर्वस्व अर्पण करने को तैयार रहता है पर जब आप यहाँ जाते हैं तो यह आपको बिल्कुल वीरान लगेगा क्योंकि जल्दबाजी में आप इसके रंध्रों को पहचान नहीं पाते।
वीरानी! इसकी अपनी डिफेन्स मेकेनिज़्म है ताकि इस स्थान तक जो लोग बिना तर्क और विवेक के सिर्फ भावनात्मक थ्रस्ट की वजह से पहुँच गए हैं वो इसे दूषित न कर सकें। आपका अपना मन भी आपको विश्वास के क्षेत्र में पहुँचने के बाद आपसे, आपकी ही भरपूर परीक्षा लेगा।
वहाँ पहुंचकर आपको जो करना है वो है, ‘अवलोकन-गति’– जिसमें गति के दौरान आपकी अवलोकन क्षमता लगातार बनी रहे ताकि आप विश्वासस्थल में आसानी से अवशोषित हो सकें।