ईरान के हालिया मिसाइल हमले ने इजराइल के साथ तनाव को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। इजराइल के राजदूत ने इसे केवल एक साधारण हमला नहीं बल्कि 181 बैलिस्टिक मिसाइलों की बौछार बताया, जिनका वारहेड 700-1,000 किलोग्राम था। इस प्रकार का हमला सैन्य इतिहास में अद्वितीय है और इसके द्वारा उत्पन्न खतरे को गंभीरता से लिया जा रहा है।
राजदूत ने इस बात पर जोर दिया कि ईरान का यह हमला इजराइल के खिलाफ एक गंभीर कदम है, और इसे ईरानी शासन की एक लंबी समय से चली आ रही विद्वेषपूर्ण नीति का हिस्सा माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि ईरान ने पिछले 30 वर्षों में विभिन्न आतंकवादी समूहों को वित्त पोषण किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ईरान की कार्रवाई सिर्फ इजराइल के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र की स्थिरता को भी खतरे में डालती है।
इजराइल की सुरक्षा स्थिति के संदर्भ में, राजदूत ने बताया कि उनकी मिसाइल रक्षा प्रणाली ने अधिकांश मिसाइलों को रोकने में सफलता प्राप्त की, जिससे कोई महत्वपूर्ण नुकसान नहीं हुआ। हालांकि, एक मिसाइल से गाजा में एक फ़िलिस्तीनी नागरिक की जान जाने की घटना हुई, जिससे यह साबित होता है कि इस प्रकार के हमले में नागरिकों को भी नुकसान पहुंच सकता है। यह स्थिति इस बात की पुष्टि करती है कि युद्ध के दौरान निर्दोष लोग भी प्रभावित होते हैं।
राजदूत ने ईरान के शासन को एक चरमपंथी और अत्याचारी व्यवस्था के रूप में चित्रित किया, जिसका उद्देश्य इजराइल को नष्ट करना है। उन्होंने यह भी कहा कि इजराइल का ईरान के लोगों से कोई दुश्मनी नहीं है, बल्कि उनका टकराव ईरान के शासन के साथ है। उनका मानना है कि ईरान के लोग अपनी सरकार के खिलाफ उठ खड़े हो सकते हैं, लेकिन यह परिवर्तन अंदरूनी कारणों से ही आएगा, न कि बाहरी हस्तक्षेप से।
इजराइल के साथ-साथ अन्य अरब देशों के साथ भी राजदूत ने यह कहा कि पिछले वर्ष में, किसी भी अरब देश ने इजराइल के साथ संबंध नहीं तोड़े हैं। यह इस बात का संकेत है कि क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने के लिए संभावनाएं हैं, और एक स्थायी और शांतिपूर्ण मध्य पूर्व का निर्माण किया जा सकता है।
राजदूत ने यह भी कहा कि इजराइल अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए तैयार है, लेकिन वे किसी अन्य देश में शासन बदलने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इजराइल अपनी सीमाओं के भीतर अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इसके अतिरिक्त, राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र पर भी अपनी निराशा व्यक्त की, यह कहते हुए कि संयुक्त राष्ट्र में कुछ सदस्य देश पक्षपाती हैं, जिससे समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को निष्पक्ष रहना चाहिए और सभी देशों के प्रति समान व्यवहार करना चाहिए।
अंत में, राजदूत ने भारत की भूमिका पर भी विचार किया और कहा कि भारत एक महत्वपूर्ण मित्र है जो मध्य पूर्व में स्थिरता लाने में मदद कर सकता है। उनका मानना है कि भारत और इजराइल के बीच के संबंध इस क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और यह दोनों देशों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है।
इस प्रकार, ईरान का मिसाइल हमला केवल एक सैन्य आक्रमण नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती है। राजदूत के बयान से यह स्पष्ट है कि इजराइल इस खतरे का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है, जबकि वे अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हैं।