मैंने असंख्य बार कहा है कि सत्याग्रह में हिंसा, लूटमार, आगजनी आदि के लिए कोई स्थान नहीं है;
लेकिन इसके बावजूद हमने मकान जलाये हैं, बलपूर्वक हथियार छीने हैं, लोगों को डरा-धमकाकर उन
से पैसा लिया है, रेलगाड़ियाँ रोकी हैं, तार काटे हैं, निर्दोष आदमियों की हत्या की है और दुकानें तथा
लोगों के निजी घरों में लूटमार की है। इस तरह के कामों से मुझे जेल या फाँसी के तख्ते से बचाया जा
सकता हो तो भी मैं इस तरह बचाया जाना पसन्द नहीं करूँगा।
स्पीचेज़ एण्ड राइटिंग्ज़ ऑफ महात्मा गांधी, पृ. 476