पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो अपनी रणनीतिक चालों और गठबंधन बदलने की आदत के लिए जाने जाते हैं, हाल ही में अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलों का विषय बने हुए हैं। 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर, उनके INDIA (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस) ब्लॉक के साथ संभावित जुड़ाव पर बहस तेज हो गई है। बिहार और राष्ट्रीय स्तर पर, उनकी हर चाल पर बारीकी से नजर रखी जा रही है, खासकर उनके अतीत में पक्ष बदलने के इतिहास को देखते हुए।
नीतीश कुमार की राजनीतिक विरासत और गठबंधन बदलाव
बिहार की राजनीति के दिग्गज नेता नीतीश कुमार ने शासन और सामाजिक न्याय पर अपनी छवि बनाई है। हालांकि, उनकी राजनीतिक यात्रा बार-बार गठबंधन बदलने से चिह्नित रही है। 1994 में लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से अलग होने के बाद, नीतीश ने समता पार्टी बनाई, जिसे बाद में जनता दल (यूनाइटेड) [जेडीयू] में मिला दिया। 2005 में, उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन कर राजद के 15 साल के शासन को समाप्त किया, जो 2013 तक चला। इसके बाद, उन्होंने 2015 के विधानसभा चुनावों में महागठबंधन के तहत राजद और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया, लेकिन 2017 में फिर से भाजपा-नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल हो गए।
2022 में, भाजपा से नाता तोड़कर बिहार में राजद के साथ फिर से महागठबंधन बनाना, उनके INDIA ब्लॉक के साथ संभावित जुड़ाव का संकेत माना जा रहा है। यह ब्लॉक विपक्षी दलों का एक गठबंधन है, जो केंद्र में भाजपा के वर्चस्व को चुनौती देने का लक्ष्य रखता है।
INDIA ब्लॉक के साथ संभावित जुड़ाव: संकेत और अटकलें
नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ 2024 में एकजुट विपक्ष की आवश्यकता पर जोर देते रहे हैं। उन्होंने इस वर्ष पटना में विपक्षी नेताओं की बैठकों का आयोजन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे उनके INDIA ब्लॉक के प्रति प्रतिबद्धता का संकेत मिला। हालांकि, गठबंधन में उनकी वास्तविक भूमिका अस्पष्ट बनी हुई है। जहां कुछ का मानना है कि नीतीश खुद को राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं अन्य का मानना है कि उनका ध्यान बिहार पर केंद्रित रहेगा।
INDIA ब्लॉक के साथ नीतीश का संभावित जुड़ाव बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को काफी प्रभावित कर सकता है। इस ब्लॉक में राजद, कांग्रेस और वाम दल शामिल हैं, जो वर्तमान में बिहार में नीतीश की गठबंधन सरकार का हिस्सा हैं। केंद्र में INDIA ब्लॉक के प्रति समर्थन की आधिकारिक घोषणा बिहार में महागठबंधन को मजबूत कर सकती है, जो आगामी चुनावों में भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
चुनौतियां और अवसर
नीतीश के बार-बार गठबंधन बदलने का इतिहास अवसरों और जोखिमों दोनों को प्रस्तुत करता है। जहां उनकी अनुकूलन क्षमता ने उन्हें राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बनाए रखा है, वहीं इसने अवसरवाद के आरोप भी लगाए हैं। आलोचकों का कहना है कि उनके गठबंधन विचारधारात्मक प्रतिबद्धता की बजाय राजनीतिक अस्तित्व पर आधारित हैं, जो मतदाता विश्वास को कम कर सकते हैं।
दूसरी ओर, उनका शासन रिकॉर्ड, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे, शिक्षा और महिलाओं के सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में, उनकी मजबूत संपत्ति बना हुआ है। INDIA ब्लॉक के साथ जुड़ाव उन्हें अपनी उपलब्धियों को उजागर करने और भाजपा के नैरेटिव का मुकाबला करने के लिए एक व्यापक मंच प्रदान कर सकता है।
बिहार चुनाव पर प्रभाव
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के लिए अग्निपरीक्षा होंगे। यदि वे INDIA ब्लॉक के साथ जुड़ते हैं, तो इससे राज्य में भाजपा विरोधी वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है। हालांकि, राजद और कांग्रेस जैसे गठबंधन साझेदारों के परस्पर हितों को प्रबंधित करना महत्वपूर्ण होगा। दूसरी ओर, भाजपा संभवतः नीतीश के गठबंधन बदलाव के इतिहास पर ध्यान केंद्रित कर उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाएगी।
नीतीश के डिप्टी, राजद के तेजस्वी यादव के साथ उनके संबंध भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। जहां दोनों नेताओं ने एकजुट चेहरा पेश किया है, चुनावों के नजदीक आते ही आंतरिक तनाव सतह पर आ सकते हैं। महागठबंधन में इन दरारों का फायदा उठाने की भाजपा की रणनीति स्थिति को और जटिल बना सकती है।
राष्ट्रीय प्रभाव
राष्ट्रीय स्तर पर, INDIA ब्लॉक के साथ नीतीश का जुड़ाव एक अनुभवी प्रशासक और राज्य चुनावों में भाजपा को हराने वाले नेता को गठबंधन में शामिल कर इसकी विश्वसनीयता बढ़ा सकता है। हालांकि, ब्लॉक में एक बड़ी भूमिका के लिए उनकी महत्वाकांक्षा अन्य नेताओं के साथ टकराव का कारण बन सकती है।
नीतीश कुमार का राजनीतिक भविष्य और उनका INDIA ब्लॉक के साथ संभावित जुड़ाव महत्वाकांक्षा, रणनीति और व्यावहारिकता का जटिल खेल है। बिहार और देश आगामी चुनावों के लिए तैयार हैं, नीतीश की चाल न केवल उनके अपने करियर को आकार देगी, बल्कि भारतीय राजनीति की सीमाओं को भी फिर से परिभाषित कर सकती है।