धर्म और राजनीति का संबंध बहुत ही नाजुक है। मेरा मानना है कि राजनीति का आधार नैतिकता और धर्म होना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम धर्म के नाम पर भेदभाव करें। धर्म का उद्देश्य मानवता की सेवा करना है, और राजनीति का भी यही उद्देश्य होना चाहिए। जब तक हमारी राजनीति नैतिकता पर आधारित नहीं होगी, तब तक हम सच्चे अर्थों में स्वतंत्रता प्राप्त नहीं कर सकते। लेकिन हमें यह ध्यान रखना होगा कि राजनीति में धर्म का प्रयोग समाज को विभाजित करने के लिए नहीं, बल्कि एकजुट करने के लिए होना चाहिए।
यंग इंडिया, 1925