शिक्षा का असली मकसद केवल अकादमिक ज्ञान नहीं है, बल्कि यह हमारे चरित्र का निर्माण करती है। हमें बच्चों को सत्य, अहिंसा, करुणा और सहनशीलता जैसे गुणों का अभ्यास कराना चाहिए। शिक्षा का यह कार्य केवल शिक्षकों का नहीं, बल्कि हर व्यक्ति का है जो बच्चों के विकास में योगदान देता है।
यंग इंडिया, 1925