सरदार वल्लभभाई की गिरफ़्तारी का अर्थ है कि भारत अब स्वाधीनता की लड़ाई के बीचोबीच है: जवाहरलाल नेहरू

सरदार पटेल को 7 मार्च, 1930 को रास में गिरफ्तार किया गया था और तुरंत उन्हें तीन महीने कारावास तथा अर्थदंड का भुगतान करने की सजा सुनाई गई थी।

सरदार वल्लभभाई पटेल

सरदार वल्लभभाई पटेल की गिरफ्तारी और सजा एक महत्त्वपूर्ण और शुभ शकुन है। इसका अर्थ यह है कि हम लोग लड़ाई के बींचो बीच हैं। हम लोगों को उनका विवेकपूर्ण परामर्श नहीं मिल पाएगा; किंतु बारदोली को भारत में विख्यात कर देनेवाला उनका दृढ़ संकल्प और उनकी निर्भीक आत्मशक्ति साबरमती जेल की दीवारों से फैलेगी और संपूर्ण भारत को बारदोली बना देगी। यह स्पष्ट है कि अन्य कांग्रेसजन भी जल्दी ही सरदार वल्लभभाई पटेल का अनुसरण करेंगे और गांधीजी को भी शीघ्र ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

 

सभी कांग्रेस समितियों, अन्य संगठनों और व्यक्तियों को मेरी सलाह है कि गांधीजी की गिरफ्तारी के तुरंत बाद इस महान्‌ नेता के प्रति हमारे सम्मान और उनमें हमारे पूर्ण विश्वास तथा उनका अनुसरण करने के हमारे दृढ़ निश्चय को अभिव्यक्त करने के लिए एक अखिल भारतीय हड़ताल की जानी चाहिए। मैं आशा करता हूँ कि स्वाधीनता के लिए किए जाने वाले संघर्ष से सहानुभूति रखने वाली सभी संस्थाएँ उस दिन अपने दरवाजे बंद रखेंगी और पूरा देश एक बार फिर यह दिखला देगा कि हम सभी भारत की स्वाधीनता के लिए एक साथ खड़े हैं।

– द ट्रिब्यून

12 मार्च, 1930

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