बचाव के दो रास्ते हैं। सबसे अच्छा और सबसे कारगर तो यह है कि बिलकुल बचाव न किया जाय, बल्कि अपनी जगह पर कायम रहकर हर तरह के खतरे का सामना किया जाय। दूसरा, उत्तम और उतना ही सम्मानपूर्ण तरीका यह है कि आत्मरक्षा के लिए बहादुरी से शत्रु पर प्रहार किया जाय और अपने जीवन को बड़े से बड़े खतरे में डाला जाय।
यंग इंडिया, 18/12/1924