शीर्ष नेतृत्व के चुप रहने की कोई तो वजह होगी।

क्या सरकार एक संदेश देना चाहती है?

सरकारें विभिन्न जनसंचार माध्यमों से जिस रूप में संदेशों को प्रेषित करती हैं, वही तय करता है कि किस किस्म के अपराध देश में बढ़ने वाले हैं। ये संदेश दो स्तर पर काम करते हैं। पहला निचला स्तर जहाँ किसी राजनैतिक दल, स्वयंसेवी संगठन के कार्यकर्ता एक्शन मोड में विभिन्न गतिविधियों को अंजाम देते हैं और एक संदेश छोड़ जाते हैं और दूसरा स्तर

ऊपरी स्तर है जहां शिखर नेतृत्व ‘चुप’ रहने के विकल्प को अपनी साँसों के साथ सिंक कर देता है और इस तरह किसी महान से महान लोकतान्त्रिक देश में भी सरकारें मनचाहे तरीके से विभिन्न संस्थाओं का इस्तेमाल अपराधों और आपराधिक नेरेटिव को वैधता प्रदान करने के लिए कर सकती हैं।

पूरी दुनिया ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत में ऑक्सीजन की कमी से पैदा हुए मौत के तांडव को देखा, हजारों की संख्या में लोग अस्पताल के बाहर ऑक्सीजन और बेड की कमी से तड़प-तड़प कर मर गए, सर्वोच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय हफ्तों तक लगातार ऑक्सीजन की कमी को लेकर फटकार लगाता रहे, लेकिन इसके बावजूद भारत की संसद में बेशर्मी से सरकार द्वारा कहा गया कि ऑक्सीजन की कमी से कोई नहीं मरा। तो ऐसे में सबको समझना चाहिए कि सरकार एक ‘संदेश’ देना चाहती है।