असल में धन के नाम से जो चीज़ चाही जाती है वह है मनुष्यों पर सत्ता। सीधे-सादे शब्दों में उसका अर्थ है, वह सत्ता जिससे हमें अपने लाभ के लिए नौकर, व्यापारी और कलाकार का श्रम मिल जाए। इसलिए साधारण अर्थ में धनवान बनने की कला सिर्फ अपने लिए बहुत-सी दौलत इकट्टी करने की ही कला नहीं है, बल्कि ऐसी युक्ति आजमाने की कला है जिससे हमारे पड़ोसियों के पास हम से कम दौलत रहे। ठीक शब्दों में कहा जाए तो यह अपने पक्ष में अधिक से अधिक असमानता कायम करने की कला है।
-गाँधीजीज पैराफेज ऑफ ‘अंटू दिस लास्ट’