कॉंग्रेसजनों को प्रत्येक हिन्दू और अहिन्दू का प्रतिनिधि बन जाना चाहिये: महात्मा गाँधी

सांप्रदायिक एकता का अर्थ राजनीतिक एकता नहीं है।

gandhi

साम्प्रदायिक एकता की आवश्यकता के बारे में सब सहमत हैं। परन्तु सबको
यह मालूम नहीं है कि, एकता का अर्थ राजनीतिक एकता नहीं है, जो
ऊपर से थोपी जा सकती है। उसका अर्थ है न टूटने वाली हार्दिक एकता।
ऐसी एकता पैदा करने के लिए पहली जरूरी चीज हर कांग्रेसजन के लिए
यह है कि उसका धर्म कुछ भी हो, उसको अपने खुद के व्यवहार में हिन्दू,
मुसलमान, ईसाई, पारसी और यहूदी वगैरा का अर्थात्‌ प्रत्येक हिन्दू
और अहिन्दू का प्रतिनिधि बन जाना चाहिये।

उसे हिन्दुस्तान के करोड़ों निवासियों में से प्रत्येक के साथ एकता महसूस करनी चाहिये।
ऐसा अनुभव करने के लिए प्रत्येक कांग्रेसजन अपने धर्म के सिवा दूसरे धर्म वालों के साथ
व्यक्तिगत मित्रता पैदा करेगा। उसके दिल में दूसरे धर्मो का वैसा ही आदर
होना चाहिये, जैसा उसका अपने धर्म के लिए है।

 

रचनात्मक कार्यक्रम, 1941