आज, सुप्रीम कोर्ट ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट द्वारा आदेशित पुलिस कार्रवाई पर रोक लगा दी है। मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को ईशा फाउंडेशन पर दर्ज सभी आपराधिक मामलों का विवरण प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।
यह आदेश एक याचिका के बाद आया, जिसमें याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसकी दो बेटियों को फाउंडेशन में बंधक बनाकर रखा गया है।
आज सुप्रीम कोर्ट में दोनों महिलाओं ने बयान दिया कि वे अपनी मर्जी से फाउंडेशन में रह रही हैं और किसी प्रकार की बंदिश नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को अपने पास स्थानांतरित करते हुए पुलिस को आगे की कार्रवाई से रोका और मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को निर्धारित की है।
इससे पहले मद्रास हाई कोर्ट में दो बेटियों के पिता, डॉ. एस. कामराज ने याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि उनकी बेटियां गीता (42) और लता (39) को ईशा फाउंडेशन के कोयंबटूर स्थित आश्रम में बंधक बनाकर रखा गया है। याचिका में यह भी दावा किया गया था कि उनकी बेटियों को “ब्रेनवॉश” कर साध्वी बना दिया गया है और परिवार से उनका संपर्क तोड़ दिया गया है।
मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए फाउंडेशन के खिलाफ आपराधिक मामलों की जानकारी मांगी थी और पुलिस को जांच का आदेश दिया था। कोर्ट ने इस पर भी सवाल उठाया कि सद्गुरु जग्गी वासुदेव, जिन्होंने अपनी बेटी का विवाह कर दिया, अन्य लोगों की बेटियों को सांसारिक जीवन छोड़कर साध्वी बनने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहे है?
हाईकोर्ट में ईशा फाउंडेशन ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि दोनों महिलाएं अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही हैं।