प्रेम और विवाह का आधार जाति नहीं मानवता होनी चाहिए।

अंतर-जातीय विवाह समाज में जातिगत भेदभाव को समाप्त करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। जब तक हम जातियों के बीच विवाह को स्वीकार नहीं करते, तब तक समाज में जातिगत भेदभाव बना रहेगा। जाति के आधार पर विवाह न करने की परंपरा, समाज को विभाजित करती है और इसे समाप्त करने के लिए हमें साहसिक कदम उठाने होंगे। हर व्यक्ति को यह समझना होगा कि प्रेम और संबंध का आधार जाति नहीं, बल्कि मानवता होनी चाहिए। यह समाज में एक नई क्रांति लाने का जरिया बन सकता है, जिससे हम एक सच्चे लोकतांत्रिक और बराबरी के समाज की ओर बढ़ सकते हैं।

हरिजन, 1940