हेलो ! मैं गांधी जितने व्यक्ति हैं उतने धर्म हैं: महात्मा गाँधीसभी धर्म अंततः एक ही स्थान पर पहुंचते हैं। by editor September 12, 2022 Share this Facebook Messenger Twitter Pinterest Linkedin Whatsapp दुनिया के विभिन्न धर्म एक ही स्थान पर पहुँचने के अलग-अलग रास्ते हैं। जब तक हम एक ही उद्दिष्ट स्थान पर पहुँचते हैं, हमारे भिन्न-भिन्न मार्ग अपनाने में क्या हर्ज है? वास्तव में जितने व्यक्ति हैं उतने ही धर्म हैं। हिंद स्वराज्य, 1946; पृ० 35-36 Share this Facebook Messenger Twitter Pinterest Linkedin Whatsapp You might be interested in November 4, 2024 बच्चों को सत्य, अहिंसा, सहनशीलता और करुणा का अभ्यास करायें। November 1, 2024 राजनीति में धर्म का प्रयोग समाज को विभाजित करने के लिए नहीं होना चाहिए October 25, 2024 हमें किसी भी धर्म के प्रति पूर्वग्रह नहीं रखना चाहिए। October 24, 2024 हिंसा कमज़ोरी की निशानी है और यह आपको आपकी आत्मा से दूर कर देती है