जितने व्यक्ति हैं उतने धर्म हैं: महात्मा गाँधी

सभी धर्म अंततः एक ही स्थान पर पहुंचते हैं।

दुनिया के विभिन्‍न धर्म एक ही स्थान पर पहुँचने के अलग-अलग रास्ते हैं। जब तक हम एक ही उद्दिष्ट स्थान पर पहुँचते हैं, हमारे भिन्‍न-भिन्‍न मार्ग अपनाने में क्या हर्ज है? वास्तव में जितने व्यक्ति हैं उतने ही धर्म हैं।

 

 

हिंद स्वराज्य, 1946; पृ० 35-36