ज़ाकिर हुसैन: एक था जादूगर

प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि

भारत के करोड़ों लोगों ने टेबल को ज़ाकिर हुसैन के नाम से ही जाना है। भारत में यह वाद्ययंत्र बिना जाकिर हुसैन के अधूरा है। 15 दिसंबर की रात यह फनकार इस धरती से विदा हो गया। जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ। उनका पूरा नाम उस्ताद जाकिर हुसैन कुरैशी है। वह भारत के महान तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के पुत्र हैं। उनके पिता, अल्ला रक्खा साहब, अपने समय के प्रसिद्ध और अनुभवी तबला वादक थे, जिन्होंने तबले को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई। संगीत उनके परिवार की परंपरा का हिस्सा रहा और इसे जाकिर हुसैन ने एक नई ऊंचाई पर पहुँचाया।

उनकी माता बिबी जी थीं, जो एक गृहिणी थीं और परिवार के सांस्कृतिक माहौल में बड़ा योगदान रखती थीं। जाकिर हुसैन के पिता ने उन्हें बचपन से ही संगीत और तबले की शिक्षा देना शुरू कर दिया था।


शिक्षा और शुरुआती प्रशिक्षण

जाकिर हुसैन की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में हुई। उनके पिता ने उन्हें महज़ 3 साल की उम्र से तबला बजाना सिखाना शुरू कर दिया था। उनके पिता उन्हें शास्त्रीय संगीत की बारीकियों और तकनीकीताओं से परिचित कराते गए।

उन्होंने अपनी औपचारिक शिक्षा के दौरान भी तबला वादन पर विशेष ध्यान दिया। आगे चलकर उन्होंने संत जेवियर्स कॉलेज, मुंबई से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की। परंतु उनकी असली शिक्षा संगीत की दुनिया में हुई, जहाँ उन्हें संगीत के अद्भुत गुर सीखने का मौका मिला।


संगीत करियर की शुरुआत

जाकिर हुसैन ने 16 साल की उम्र में अपना पहला सार्वजनिक प्रदर्शन किया। उनकी उंगलियों की गति, तबले की नजाकत और अद्भुत पकड़ ने लोगों को चौंका दिया। इसके बाद उन्होंने कई प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों के साथ मंच साझा किया, जिनमें पंडित रवि शंकर और अली अकबर खान जैसे नाम प्रमुख हैं।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान

जाकिर हुसैन ने भारतीय तबला को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सम्मान दिलाया। उन्होंने विश्वभर में कई फ्यूज़न बैंड के साथ काम किया।

  • शक्ति बैंड: जाकिर हुसैन ने प्रसिद्ध गिटार वादक जॉन मैकलॉफलिन के साथ मिलकर “शक्ति” नामक बैंड बनाया। यह बैंड भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी संगीत का संगम था।
  • प्लैनेट ड्रम: यह प्रोजेक्ट ग्रैमी पुरस्कार जीतने वाला पहला वैश्विक रिदम एल्बम था। इसमें जाकिर हुसैन ने अलग-अलग देशों के संगीतकारों के साथ मिलकर काम किया।

उनके इस योगदान से भारतीय तबले को वैश्विक पहचान मिली और वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक सितारे बन गए।


विवादों में जाकिर हुसैन

हालांकि जाकिर हुसैन अपने विनम्र स्वभाव और संगीत समर्पण के लिए जाने जाते हैं, लेकिन उनकी जिंदगी में कुछ विवाद भी रहे हैं।

  1. धार्मिक और सांप्रदायिक आलोचना: कुछ कट्टरपंथी संगठनों ने उन पर यह आरोप लगाया कि वह भारतीय संगीत को “पश्चिमी रंग” में ढाल रहे हैं। हालांकि, जाकिर हुसैन ने हमेशा कहा कि उनका उद्देश्य भारतीय संगीत को विश्व मंच पर ले जाना है।
  2. परिवार और संपत्ति विवाद: पिता उस्ताद अल्ला रक्खा की मृत्यु के बाद, परिवार के बीच संपत्ति और संगीत से जुड़े अधिकारों को लेकर विवादों की खबरें आईं। हालांकि, यह विवाद जल्दी ही सुलझा लिया गया।

व्यक्तिगत जीवन – शादी और बच्चे

जाकिर हुसैन का विवाह एंटोनिया मिनीकोसी (जोकि एक इतालवी मूल की कैथोलिक हैं) से हुआ। एंटोनिया एक प्रसिद्ध कैथोलिक महिला थीं, जिन्होंने अपनी पारिवारिक परंपरा छोड़कर जाकिर हुसैन का साथ दिया।

उनकी दो बेटियाँ हैं:

  1. अनीसा कुरैशी
  2. इज़ा कुरैशी

उनकी बेटियाँ भी कला और संस्कृति से जुड़ी हुई हैं। उनकी शादी को एक “अंतर-सांस्कृतिक” मिसाल माना जाता है, जिसमें दो अलग-अलग संस्कृतियों का सुंदर संगम देखने को मिला।


पुरस्कार और सम्मान

जाकिर हुसैन ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण पुरस्कार और सम्मान हासिल किए:

  • पद्म श्री (1988)
  • पद्म भूषण (2002)
  • ग्रैमी अवार्ड (1992 और 2009)
  • राष्ट्रीय पुरस्कार
  • संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड

इन पुरस्कारों के जरिए उन्होंने साबित किया कि भारतीय संगीत के लिए उनका योगदान अतुलनीय है।


जाकिर हुसैन का संगीत और योगदान

जाकिर हुसैन का संगीत एक सांस्कृतिक पुल की तरह है, जो भारतीय और पश्चिमी संगीत के बीच एक नया आयाम खोलता है। उन्होंने तबला को न सिर्फ शास्त्रीय संगीत का हिस्सा बनाए रखा, बल्कि इसे पॉप, जैज़ और फ्यूज़न जैसे आधुनिक संगीत रूपों में भी प्रस्तुत किया।

उनका मानना है कि तबला सिर्फ एक वाद्य यंत्र नहीं, बल्कि एक संवाद का माध्यम है, जो श्रोता और कलाकार के बीच एक अनूठा रिश्ता कायम करता है।


समकालीन संगीत में योगदान

जाकिर हुसैन आज भी युवा कलाकारों को प्रेरित करते हैं। उनके लाइव परफॉर्मेंस और वर्कशॉप दुनियाभर में संगीत प्रेमियों के लिए एक मिसाल हैं। उन्होंने कई फिल्मों के लिए संगीत दिया, जैसे:

  • अपूर्व रागंगल
  • द गॉडफादर (भारतीय संस्करण)

निष्कर्ष – जाकिर हुसैन का संपूर्ण सफर

जाकिर हुसैन का जीवन संगीत के प्रति समर्पण और संघर्ष की कहानी है। उन्होंने अपने पिता उस्ताद अल्ला रक्खा की विरासत को संजोते हुए भारतीय संगीत को वैश्विक मंच पर स्थापित किया।

जाकिर हुसैन का नाम आज भी तबले की दुनिया का एक सुनहरा अध्याय है। उनकी कला, उनकी विनम्रता और उनका संगीत दुनिया को यह सिखाता है कि संगीत में कोई सीमा नहीं होती।