वह दम तोड़ती सिसक रही/है संसद के गलियारों में/अपना चीर हरण करवाती/आबद्ध घृणा के घेरों में
राजनीति
राजनीति के पन्नों पर
बोली लगी निठल्लों पर
कोई दल को बदल रहा
कोई ज़हर उगलता दल्लों पर
भूत एक का उतरा न था
दूजे के सिर चढ बोल रहा
एक दूसरे की कलई
सिर के बल चलकर खोल रहा
राजनीति एक ऐसी थी
जो दृष्टिकोण की कुंजी थी
गांधी जी के दर्शन की
भगवद्गीता की पूंजी थी
रस्किन,डेविड ओ हेनरी के
दर्शन की थी आधारशिला
पग रखते ही पदचिन्हों पर
पीछे-पीछे इतिहास चला
द्वेष गरल की ज्वाला में
अमृत वर्षा करने वाली
वह राजनीति थी गांधी की
इतिहास बदल देने वाली
हिंसा विहीन संग्राम छेड़
विषधर का शीश कुचल डाला
टॉल्स्टॉय की राजनीति ने
नर को नारायण कर डाला
तिलक गोखले गांधी जी
जो अलख जगाते जननी की
वह भारत माँ शर्मिंदा हैं
विषधर वाणी सुन संसद की
कोई कृषकों को कुचल रहा
कोई डूबा मयखाने में
भैंस जुगाली सी करती
राजनीति तहखाने में
वह दम तोड़ती सिसक रही
है संसद के गलियारों में
अपना चीर हरण करवाती
आबद्ध घृणा के घेरों में
विष वमन कर रहे नाग आज
गुंडो की थैली काट काट
कानून बना वापस लेना
थूक-थूक कर चाट-चाट
शीश उठाये खड़ा हिमालय
मां उन्नति का किरदार रही
मधुबाला बनकर पैग लिए
वह मधुशाला मे नाच रही
विष वामित् ज्वाल से घिरी हुई
लज्जा भी छिपती भूतल में
कब तक ढक पायेगी खुद को
दोनो हाथों के करतल में
जो कभी दुधारी असि बनती थी
वह जंग लगी तलवार बनी
काले धन की रखवाली में
वह असली पहरेदार बनी
ऊँट की चोरी निहुरे निहुरे
कह दूँ कैसे यह संभव है
राजनीति के मस्तक का
दाग छुड़ाना असंभव है
यह वही हमारी मातृभूमि है
जहाँ प्रवाहित है गंगा
उसी देश की संसद में
गाली सुन आज़ादी शर्मिंदा
संस्कृति के उज्ज्वल दामन पर
पंक पाप का दीख रहा
कोमल पुष्पों की पंखुड़ियों को
पाप कुचलना सीख रहा
जब पाप बढ़ा इस धरती पर
राम ने रावण को निपटाया
हर कठिनाई का समाधान कर
मां गंगा प्लावित कर लाया
कानी उंगली पर गोवर्धन
का भार उठाने वाले सुन
परिणाम की चिंता मत करना
इतिहास बनाने वाले गुन
राजनीति के खूनी गिद्धों की
आवाज़ छीनकर रख लेना
दानवता का गला घोंट
ताज छीनकर ले लेना