ऋण कृत्वा घी भी पी लेंगे
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आत्म समर्पण करते हैं
डाकू नेताओं के आगे
मारे- मारे वे फिरते हैं
जंगल मे भागे – भागे।। 1।।
हाथ नहीं लगता कुछ भी
क्या खाक़ मिला इस पेशे से
राजनीति भली चंगी लगती
सर पर मंडराते खतरे से।। 2।।
तकनीक नई यह डाका की
आड़ मे इसके जी लेंगे
ऐश करेंगे निशि – वासर
ऋण कृत्वा घी भी पी लेंगे।। 3।।
सभी गुनाहों पर पर्दा
पड़ जायेगा झीना – झीना
सरकारी छाया मे रहकर
पुष्पित होगा झपटी- छीना।। 4।।
नेता जी दौरे पर निकले
संपर्क हेतु प्रिय जनता से
लक्ष्य प्राप्ति से पहले ही
घिर गए भयंकर आफत से।। 5।।
डाकू लाॅबी ने घेर लिया
संगीनों के साये में
न – न करते बंध गया वीर
नौशा उठ गया किराये मे।। 6।।
वाहन से बाहर जबरन कर
रस्सी से जकड़ दिये सत्वर
घबराये भीगी बिल्ली सी
पड़ गए पर्दे आँखों पर।। 7।।
डर के मारे कांप गए
नेक इरादा भांप गए
मौसेरे भाई चोर – चोर
दाढ़ी मे तिनका जान गए।। 8।।
डांकू बोले हम भाई हैं
खग हैं खग भाषा ज्ञानी हैं
डर कैसा भाई – भाई से
छीना – झपटी मे शानी हैं।। 9।।
चाहे जैसा रखवाला हो
हम ईंट से ईंट बजा देंगे
काला अक्षर भैंस बराबर
फिर भी हम छक्के छुड़ा देंगे।। 10।।
हम दोनो सहोदर भावों से
दोनों नेक इरादों से
जनता ने पाला तुम्हें हमें
वोट – नोट के निवालों से।। 11।।
सत्ता है तेरे हांथो मे
बंदूक हमारे हांथो में
टार्गेट एक हम दोनो का
संधान तुम्हारे हांथों में।। 12।।
हम बचते अपने शिविर बदल
तुम बचते हो दल बदल – बदल
दोनो मे गहरी मैत्री है
लूट मे दोनो हैं निश्चल।। 13।।
मानो तो रास्ते अलग – अलग
पर दोनो सहोदर भैया हैं
काम एक ही दोनो का
जनता से लूट रुपैया है।। 14।।
साथ पुलिस है दोनो के
कितनी शानो शौकत है
जो पुलिस तुम्हारे आगे है
वही पुलिस हमारे पीछे है।। 15।।
साथ हमारे आज हुए
तो हमें कृतारथ कर जावो
केवल इतनी सी शर्त यही
साथ हमारे हो जाओ।।16।।
बैंक डकैती की खातिर
हमको उत्साहित कर जाओ
भाषण देकर गर्जंन स्वर से
रात्रि जागरण कर जाओ।। 17।।
कल सुबह अंधेरा रहते ही
हम अपना शिविर बदल देंगे
उद्घाटन करवाकर तुमको भी
जो हिस्सा होगा दे देंगे।। 18।।
दाखिला करा दो राजनीति में
हम दोनो मिलकर लूटेंगे
ऐश करेंगे निशि – वासर
ऋण कृत्वा घी भी पी लेंगे।। 19।।