शिक्षा केवल बुद्धि को विकसित करने का नाम नहीं है; यह हृदय और आत्मा की जागृति का भी माध्यम है। मेरा मानना है कि एक सच्ची शिक्षा वही है जो हमारे भीतर के सर्वोत्तम गुणों को सामने लाए। इस शिक्षा का लक्ष्य
महाराष्ट्र और झारखंड में हुए विधानसभा चुनावों के बाद एग्जिट पोल के नतीजे आ गए हैं। विभिन्न एजेंसियों के सर्वेक्षणों में दोनों राज्यों में संभावित जीत और हार के संकेत दिए गए हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि किस पार्टी को
चेन्नई में एक दर्दनाक सड़क दुर्घटना में एक वीडियो पत्रकार, जो रैपिडो राइडर के तौर पर भी काम कर रहा था, की जान चली गई। मृतक की पहचान 34 वर्षीय प्रतिप कुमार के रूप में हुई है, जो अपनी आर्थिक स्थिति को
भारत में अक्टूबर महीने के लिए थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित मुद्रास्फीति दर 2.4% तक पहुंच गई है, जो सितंबर में 1.9% थी। यह वृद्धि मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों और ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई है। इस
जवाहरलाल नेहरू और अल्बर्ट आइंस्टीन के बीच कुछ दिलचस्प और ऐतिहासिक संबंध थे, जो उनकी समान विचारधारा, शांति के प्रति प्रतिबद्धता और विज्ञान के प्रति प्रेम को दर्शाते हैं। यहां उनके रिश्ते के कुछ महत्वपूर्ण और दिलचस्प पहलू हैं: शांतिवादी दृष्टिकोण: नेहरू
शिक्षा का असली मकसद केवल अकादमिक ज्ञान नहीं है, बल्कि यह हमारे चरित्र का निर्माण करती है। हमें बच्चों को सत्य, अहिंसा, करुणा और सहनशीलता जैसे गुणों का अभ्यास कराना चाहिए। शिक्षा का यह कार्य केवल शिक्षकों का नहीं, बल्कि हर व्यक्ति
धर्म और राजनीति का संबंध बहुत ही नाजुक है। मेरा मानना है कि राजनीति का आधार नैतिकता और धर्म होना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम धर्म के नाम पर भेदभाव करें। धर्म का उद्देश्य मानवता की सेवा करना है,
सभी धर्म एक ही सत्य के विभिन्न रूप हैं। हमें किसी भी धर्म के प्रति पूर्वग्रह नहीं रखना चाहिए। सच्ची धार्मिकता वह है जो हमें अन्य धर्मों का सम्मान करना सिखाती है और हमें मानवता की सेवा की ओर प्रेरित करती है।