पिछले दिनों भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में देश की विपक्षी दल कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने चुनावी राजनीति के इतर वैचारिक द्वंद का जिक्र किया, उसी वक्त कर्तव्य पथ पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विशालकाय प्रतिमा का अनावरण किया गया। और
जाति और प्रांत की दोहरी दीवार टूटनी चाहिए। अगर भारत एक और अखण्ड है, तो ऐसे कृत्रिम विभाजन नहीं होने चाहिए, जिनसे ऐसे असंख्य छोटे-छोटे गुट बन जाएँ जो आपस में न खानपान करें, न शादी-ब्याह करें। हरिजन, 25-07-1936
सरदार वल्लभभाई पटेल की गिरफ्तारी और सजा एक महत्त्वपूर्ण और शुभ शकुन है। इसका अर्थ यह है कि हम लोग लड़ाई के बींचो बीच हैं। हम लोगों को उनका विवेकपूर्ण परामर्श नहीं मिल पाएगा; किंतु बारदोली को भारत में विख्यात कर देनेवाला
कहीं कोई राष्ट्रीय नेता नजर नहीं आता जो महिलाओं और अन्य वंचित वर्गों के खिलाफ होने वाले अपराधों को लेकर बिना वोट बैंक की चिंता किए लगातार मजबूत पिलर की तरह खड़ा रहे। कभी कभी यह क्षमता कॉंग्रेस नेता राहुल गाँधी के
सदाचार का पालन करने का अर्थ है अपने मन और विकारों पर प्रभुत्व पाना। हम देखते हैं कि मन एक चंचल पक्षी है। उसे जितना मिलता है उतनी ही उसकी भूख बढ़ती है और फिर भी उसे संतोष नहीं होता। हम अपने
भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से, उस नफरत को लोगों के दिल से हटाना फिर सद्भाव की नई सीख देना यह जरूरी प्रयास होगा। इसके परिणाम क्या होंगे, क्या इस यात्रा के पूर्व से पश्चिम जाने का आधार, आने वाले चुनावों में
कुछ लोगों का कहना है कि पं. जवाहरलाल और मैं अलग-अलग थे। हमें अलग करने के लिए वैचारिक मतभेदों से भी अधिक कुछ होना चाहिए। हम जिस पल से सहकर्मी बने, हमारे तीन वैचारिक मतभेद तभी से हैं। फिर भी, मैं कुछ