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vibhuti narayan rai
साक्षात्कार

“इन दंगों में कम से कम एक महिला जनसंघी नेत्री शामिल थी”: विभूति नारायण राय

हाशिमपुरा जैसी घटनाएँ लोकतान्त्रिक-प्रशासनिक मूल्य-पैरालिसिस से जन्म लेती हैं- संस्थाएं अधिकारी पैदा करती हैं, उन्हें ट्रेनिंग देती हैं लेकिन उनके अंदर लोक-सौहार्द्र के मूल्यों का विकास परिवार, समाज और शिक्षा के मंथन से होता है। ऐसे ही एक मंथन से निकले उत्तर

November 12, 2021
विचार

बैन! बैन! बैन!..आइडिया ऑफ़ इण्डिया?

ये 2021 की फरवरी है और हम भारत के उस दौर में पहुँच चुके हैं जहां “भारत बंद” अब विपक्षी दलों का सत्ता पक्ष पर दबाव बनाने का टूल नहीं बल्कि सत्ता पक्ष का “आइडिया ऑफ इंडिया” बन चुका है। प्रतिदिन किसी

November 10, 2021
president
गरलॉजिक्स

न्यू इंडिया की वंदना

भारत के संविधान में अनुच्छेद 52 ने राष्ट्रपति नाम की संस्था का निर्माण किया और अनुच्छेद 53 में इस संस्था को संघ की कार्यपालिका शक्ति का प्रधान बना दिया गया। यह संस्था अलग अलग गणमान्य भारतीयों से गुजरते हुए इस समय श्री

November 7, 2021
godi media
विचार

‘ग़ुलाम’ धर्म !

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति थॉमस जेफ़रसन को लगता था कि राष्ट्रों के लिए “स्वतंत्र मीडिया ही एक मात्र सुरक्षा है”,  उनको ये भी लगता था कि यदि उन्हें  समाचार पत्रों के बिना सरकार और सरकार के बिना समाचार पत्र में से एक का

November 3, 2021
gandhi
साहित्य

‘शांति हिंसक होती है, चबा जाती है ये दमन को’

‘क़हर’ की कविता ‘शांति’ शांति हिंसक होती है, चबा जाती है ये दमन को, ज़हरीले सत्ता के उपवन को। दमन को शांत कर भी शांति शांत नहीं होती; ख़ोजती है ढूँढती है वो नए दमन को।   शांति है विकराल हाँ मैं

November 2, 2021
गरलॉजिक्स

रेप: सामूहिक आतंकवाद

दिसंबर 2012 में दिल्ली में घटित ‘निर्भया’ के गैंग बलात्कार के बाद पूरे देश के लोग सड़कों पर आए और तत्कालीन सत्ता ने जिस तरह वर्मा कमीशन बनाकर इस अपराध के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता जताई उससे यह लगने लगा था कि बलात्कारी

October 29, 2021
साहित्य

‘कमला के आशीष से कमल फैल गया’

‘कहर’ की कविता  आज़ादी…. आज़ादी की शुरुआत किसी एक दिन होनी थी, वो हो गयी, पर ये एक ऐसा त्योहार था जिसे आपकी मेरी,  और आने वाली पीढ़ियों की पीढ़ियों तक चलना था हमें इस त्योहार को हर हाल में ज़िंदा रखना

October 28, 2021
covid 19
विचार

‘सिस्टम’ का मृत्युरथ!

अपने 17 महीनों के कार्यकाल में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री शरद अरविन्द बोबडे की आँखों में जाते जाते जिस बात ने किरकिरी का काम किया वह है “वर्तमान में भारत में सबसे ज्यादा दुरुपयोग किया जाने वाला अधिकार, वाक स्वतंत्रता

October 28, 2021
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विविध

nehru dinkar

राजनीति जहाँ वह कठोर होती है, वहाँ वह तानाशाही समझी जाती है: दिनकर

November 9, 2023

मैं अपना बचाव करने या आपके वोट के लिए याचना करने के लिए तैयार नहीं हूं: पं. जवाहरलाल नेहरू

July 21, 2023

‘हमें पंडितों और मुल्लाओं की जरूरत नहीं’

July 18, 2023

“आइए, हम सब वृहत्तर हित के लिए अपनी पूरी ताक़त लगा दें।”: इंदिरा गाँधी

July 15, 2023

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