अनुशासन और विवेकयुक्त जनतंत्र दुनिया की सबसे सुन्दर वस्तु है: महात्मा गाँधी

जनता की राय के अनुसार चलने वाला राज्य जनमत से आगे बढ़कर कोई काम नहीं कर सकता। यदि वह जनमत के खिलाफ जाए तो नष्ट हो जाएगा। अनुशासन और विवेकयुक्त जनतंत्र दुनिया की सबसे सुन्दर वस्तु है। लेकिन राग-द्वेष, अज्ञान और अन्ध-विश्वास

मैं अपना बचाव करने या आपके वोट के लिए याचना करने के लिए तैयार नहीं हूं: पं. जवाहरलाल नेहरू

…अब भी, जब मैं यहां इलाहाबाद में एक लंबे अंतराल के बाद आपके सामने खड़ा हूं, तो मैं खुद को यह कहने के लिए नहीं ला सकता कि मैं संसद के लिए खड़ा हूं और आप मुझे वोट दें, नहीं तो मैं

‘हमें पंडितों और मुल्लाओं की जरूरत नहीं’

गदर आंदोलन(1913) के ज्यादातर नेता व कार्यकर्ता सिख थे, लेकिन अखबार व ‘गदर की गूंज’ कविता संग्रह ने जिस विचारधारा का प्रचार किया, उसका चरित्र मूलतः धर्मनिरपेक्ष था। गदर आंदोलन के दौरान गदर पत्र का सम्पादन शुरू किया गया। इसमें छपी कविताओं

“आइए, हम सब वृहत्तर हित के लिए अपनी पूरी ताक़त लगा दें।”: इंदिरा गाँधी

आज जिस पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न राज्यों के विधायक कॉंग्रेस छोड़ छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी या TMC जैसे अन्य दलों में शामिल होते जा रहे हैं, उसी कॉंग्रेस ने पूर्वोत्तर में विकास की नींव रखी थी। लगातार उपेक्षा का शिकार रहे

अपने भीतर समभाव बढ़ाने से बहुत-सी गुत्थियाँ अपने-आप सुलझ जाती हैं: महात्मा गाँधी

अपने संतोष के लिए जब मैं जुदा-जुदा धर्मों की पुस्तकें देख रहा था तब ईसाई धर्म, इस्लाम, जरथुस्त्री, यहूदी और हिन्दू – इतने धर्मों की पुस्तकों की मैंने अपने संतोष के लिए जानकारी प्राप्त की। यह करते हुए इन सब धर्मों की

जाति और प्रांत की दोहरी दीवार टूटनी चाहिए: महात्मा गाँधी

जाति और प्रांत की दोहरी दीवार टूटनी चाहिए। अगर भारत एक और अखण्ड है, तो ऐसे कृत्रिम विभाजन नहीं होने चाहिए, जिनसे ऐसे असंख्य छोटे-छोटे गुट बन जाएँ जो आपस में न खानपान करें, न शादी-ब्याह करें।   हरिजन, 25-07-1936

सरदार वल्लभभाई की गिरफ़्तारी का अर्थ है कि भारत अब स्वाधीनता की लड़ाई के बीचोबीच है: जवाहरलाल नेहरू

सरदार वल्लभभाई पटेल की गिरफ्तारी और सजा एक महत्त्वपूर्ण और शुभ शकुन है। इसका अर्थ यह है कि हम लोग लड़ाई के बींचो बीच हैं। हम लोगों को उनका विवेकपूर्ण परामर्श नहीं मिल पाएगा; किंतु बारदोली को भारत में विख्यात कर देनेवाला

हम अपने विकारों का जितना पोषण करते हैं, वे उतने ही निरंकुश बनते हैं: महात्मा गाँधी

सदाचार का पालन करने का अर्थ है अपने मन और विकारों पर प्रभुत्व पाना। हम देखते हैं कि मन एक चंचल पक्षी है। उसे जितना मिलता है उतनी ही उसकी भूख बढ़ती है और फिर भी उसे संतोष नहीं होता। हम अपने

अगर गरीबों के लिए कुछ किया भी जाता है, तो वह मेहरबानी के तौर पर: महात्मा गाँधी

प्रजातंत्र का अर्थ मैं यह समझा हूँ कि इस तंत्र में नीचे से नीचे और ऊँचे से ऊँचे आदमी को आगे बढ़ने का समान अवसर मिलना चाहिए। लेकिन सिवा अहिंसा के ऐसा कभी हो ही नहीं सकता। संसार में आज कोई भी

मुझे किसी के प्रति भी तिरस्कार का भाव नहीं उत्पन्न होता: महात्मा गाँधी

मैंने अनेक बार यह देखने की कोशिश की है कि मैं अपने शत्रु से घृणा कर सकता हूं या नहीं – यह देखने की नहीं कि प्रेम कर सकता हूं या नहीं, पर यह देखने की कि घृणा कर सकता हूं या

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