जिन युवाओं का हिंसक प्रदर्शन देखकर आप हिल से गए हैं यही युवा 21 से 25 साल की उम्र में बेरोजगार बनकर जब बाहर आएंगे और अपने आप को रेगुलर करने के लिए आंदोलन रत होंगे तो क्या मंजर होगा इसकी कल्पना
आप क्यों देखते हैं टीवी? क्या मजबूरी है आपकी? क्या आपके डाईनिंग रूम में सजी टीवी आपके मतलब की खबरें दिखाता है? कब आपने अपने बच्चों की स्वास्थ्य और शिक्षा पर कोई प्राइम टाइम देखा है? जो पत्रकार इसे दिखाने की कोशिश
फ़िल्म की आड़ में जिस तरह सिनेमाघरों में उन्मादी भाषण दिए जा रहे हैं, साधारण कार्यकर्ता से लेकर प्रधानमंत्री तक, सोशल मीडिया से लेकर मुख्यधारा की मीडिया तक फ़िल्म को जिस परिप्रेक्ष्य में रख रहे हैं उससे फ़िल्म का मकसद क्या है
तमाम तरह की कमियों के बावजूद जिस तरह से दिल्ली की एक अदनी सी कही जाने वाली पार्टी ने पंजाब में जीत का परचम फहराया है वो मेरे लिए भारतीय राजनीति का एक टर्निंग प्वाइंट है।….जनता विकल्प ढूंढ लेती है। आप ज्यादे
बेरोजगारी का दर्द उस पिता से पूछा जाना चाहिए जो हाथ में डिग्री लिए अपने बेटे से अपने बुढ़ापे का सहारा बनने की आस लगाए बैठा है। इस दर्द को वो माँ बयाँ करेगी जिसने अपने बेटे को सफल होते देखने के
महाभारत का युद्ध चल रहा था। कर्ण और अर्जुन की पुरानी प्रतिद्वंदिता थी। कर्ण किसी भी तरह अर्जुन को परास्त करना चाहता था। कहते हैं एक ऐसा मौका आया था जब कर्ण अर्जुन को परास्त कर सकता था। एक कथा है कि
“टूटे हुए सपनों का इलाज किसी अस्पताल में नहीं होता। कोई मेडिकल इन्श्योरेंस या आयुष्मान योजना इसकी भरपाई नहीं कर सकती।” “स्कूल और कॉलेज में 16 से 18 अनमोल साल गुजारने के बाद भी बच्चों को रोजगार के लिए तरसना पड़े
नब्बे के दशक का शुरुआती दौर था। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने प्रधानमंत्री नरसिंह राव और वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारतीय बाज़ार को दुनिया के दूसरे मुल्कों के लिए खोल दिया था। आज की तरह समाचार चैनलों की भरमार नहीं
अभी तो 1 महीना भी नहीं हुआ प्रतियोगी परीक्षा का रिजल्ट आये। खुशी से झूम उठा था राजीव (काल्पनिक नाम) मेरिट लिस्ट में अपना नाम देखकर। बहुत संघर्ष हो गया अब सारे सपने पूरे होंगे। बंद कमरे में छत को निहारते हुए
आजकल टीवी डिबेट हो या मंच से नेताओ द्वारा दिया गया राजनीतिक भाषण या फिर तथाकथित धर्मगुरुओ द्वारा दिया जाने वाला ज्ञान, हर जगह लोग अपने अपने हिसाब से धर्म को परिभाषित करते है। सबका अपना तरीका है और सबका अपना निहित