गाँधी जी एक बहुत ही महान और जटिल व्यक्ति हैं। मैं यह बात मजाकिया अंदाज में नहीं कह रहा हूँ। उन्होंने भारत में चमत्कार किया है। भारत में उन्होंने जो जबरदस्त बदलाव लाया है, उसे महसूस करना चाहिए। गांधीजी का पहला उद्देश्य
मेरे ख़याल से तो प्रान्तों में अब गवर्नरों की ज़रूरत ही नहीं है। मुख्यमंत्री ही सब कामकाज चला सकता है। जनता का 5500 रु. मासिक गवर्नर के वेतन पर व्यर्थ ही क्यों खर्च किया जाये? फिर भी अगर प्रान्तों में गवर्नर रखने
दुनिया के विभिन्न धर्म एक ही स्थान पर पहुँचने के अलग-अलग रास्ते हैं। जब तक हम एक ही उद्दिष्ट स्थान पर पहुँचते हैं, हमारे भिन्न-भिन्न मार्ग अपनाने में क्या हर्ज है? वास्तव में जितने व्यक्ति हैं उतने ही धर्म हैं।
जो दिल्ली को जानते है वो वहाँ की गर्मी और सर्दी से भली भाँति परिचित होंगे। 17 दिसंबर 2012 की कंपकंपाती ठंड में दिल्ली उबल रही थी क्योंकि समाज बिना किसी चेहरे या संगठन के सहयोग के संगठित हो क्रोध से उबल
सभी धर्मों में सत्य का दर्शन होता है, परंतु सब अपूर्ण हैं और सब में भूलें हो सकती हैं। दूसरे धर्मों का आदर करने में उनके दोषों के प्रति आँखें मूँदने की ज़रुरत नहीं। हमें स्वयं अपने धर्म के दोषों के प्रति
मेरा राम अर्थात हमारी प्रार्थना के समय का राम ऐतिहासिक राम नहीं है, जो दशरथ के पुत्र और अयोध्या के राजा थे। वह तो सनातन, अजन्मा और अद्वितीय राम है। मैं उसी की पूजा करता हूं उसी की मदद चाहता हूं। आपको
मैं यह नहीं मानता कि एक धर्म के लोगों को दूसरे धर्म के लोगों से, धर्मपरिवर्तन की दृष्टि से, कोई आग्रह करना चाहिए। धर्म में कहने की गुंजाइश नहीं होती। उसे जीवन में उतारना होता है। तब वह अपना प्रचार स्वयं कर