कहीं कोई राष्ट्रीय नेता नजर नहीं आता जो महिलाओं और अन्य वंचित वर्गों के खिलाफ होने वाले अपराधों को लेकर बिना वोट बैंक की चिंता किए लगातार मजबूत पिलर की तरह खड़ा रहे। कभी कभी यह क्षमता कॉंग्रेस नेता राहुल गाँधी के
सदाचार का पालन करने का अर्थ है अपने मन और विकारों पर प्रभुत्व पाना। हम देखते हैं कि मन एक चंचल पक्षी है। उसे जितना मिलता है उतनी ही उसकी भूख बढ़ती है और फिर भी उसे संतोष नहीं होता। हम अपने
भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से, उस नफरत को लोगों के दिल से हटाना फिर सद्भाव की नई सीख देना यह जरूरी प्रयास होगा। इसके परिणाम क्या होंगे, क्या इस यात्रा के पूर्व से पश्चिम जाने का आधार, आने वाले चुनावों में
प्रजातंत्र का अर्थ मैं यह समझा हूँ कि इस तंत्र में नीचे से नीचे और ऊँचे से ऊँचे आदमी को आगे बढ़ने का समान अवसर मिलना चाहिए। लेकिन सिवा अहिंसा के ऐसा कभी हो ही नहीं सकता। संसार में आज कोई भी
मैंने अनेक बार यह देखने की कोशिश की है कि मैं अपने शत्रु से घृणा कर सकता हूं या नहीं – यह देखने की नहीं कि प्रेम कर सकता हूं या नहीं, पर यह देखने की कि घृणा कर सकता हूं या
मैं काँग्रेस से जो हट गया हूँ उसके पीछे कुछ खास कारण हैं। यह मैंने इसलिए किया है कि काँग्रेस को मैं और भी अधिक मदद दे सकूँ। जब तक सत्य और अहिंसा पर आधार रखने वाले 1920 के कार्यक्रम की प्रतिज्ञा
ऋण कृत्वा घी भी पी लेंगे =================== आत्म समर्पण करते हैं डाकू नेताओं के आगे मारे- मारे वे फिरते हैं जंगल मे भागे – भागे।। 1।। हाथ नहीं लगता कुछ भी क्या खाक़ मिला इस पेशे से राजनीति भली चंगी लगती सर