“मेरी राय में अहिंसा केवल व्यक्तिगत सद्गुण नहीं है। वह एक सामाजिक सद्गुण भी है,जिसका विकास अन्य सद्गुणों की भांति किया जाना चाहिए। अवश्य ही समाज का नियमन ज्यादातर आपस के व्यवहार में अहिंसा के प्रगट होने से होता है। मेरा अनुरोध
भाजपा के सांसद साक्षी महाराज ने सितंबर 2014 में कहा कि मदरसों में मुस्लिम युवाओं को लव जिहाद के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्हे “सिख लड़की के साथ अफेयर करने के लिए 11 लाख, हिन्दू लड़की के साथ अफेयर करने
हाशिमपुरा जैसी घटनाएँ लोकतान्त्रिक-प्रशासनिक मूल्य-पैरालिसिस से जन्म लेती हैं- संस्थाएं अधिकारी पैदा करती हैं, उन्हें ट्रेनिंग देती हैं लेकिन उनके अंदर लोक-सौहार्द्र के मूल्यों का विकास परिवार, समाज और शिक्षा के मंथन से होता है। ऐसे ही एक मंथन से निकले उत्तर
ये 2021 की फरवरी है और हम भारत के उस दौर में पहुँच चुके हैं जहां “भारत बंद” अब विपक्षी दलों का सत्ता पक्ष पर दबाव बनाने का टूल नहीं बल्कि सत्ता पक्ष का “आइडिया ऑफ इंडिया” बन चुका है। प्रतिदिन किसी
भारत के संविधान में अनुच्छेद 52 ने राष्ट्रपति नाम की संस्था का निर्माण किया और अनुच्छेद 53 में इस संस्था को संघ की कार्यपालिका शक्ति का प्रधान बना दिया गया। यह संस्था अलग अलग गणमान्य भारतीयों से गुजरते हुए इस समय श्री
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति थॉमस जेफ़रसन को लगता था कि राष्ट्रों के लिए “स्वतंत्र मीडिया ही एक मात्र सुरक्षा है”, उनको ये भी लगता था कि यदि उन्हें समाचार पत्रों के बिना सरकार और सरकार के बिना समाचार पत्र में से एक का
‘क़हर’ की कविता ‘शांति’ शांति हिंसक होती है, चबा जाती है ये दमन को, ज़हरीले सत्ता के उपवन को। दमन को शांत कर भी शांति शांत नहीं होती; ख़ोजती है ढूँढती है वो नए दमन को। शांति है विकराल हाँ मैं
दिसंबर 2012 में दिल्ली में घटित ‘निर्भया’ के गैंग बलात्कार के बाद पूरे देश के लोग सड़कों पर आए और तत्कालीन सत्ता ने जिस तरह वर्मा कमीशन बनाकर इस अपराध के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता जताई उससे यह लगने लगा था कि बलात्कारी