सदगुरु जग्गी वासुदेव पर क्यों लगा था लड़कियों के ‘ब्रेनवॉश’ का आरोप? अब सुप्रीम कोर्ट से राहत क्यों?

आज, सुप्रीम कोर्ट ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट द्वारा आदेशित पुलिस कार्रवाई पर रोक लगा दी है। मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को ईशा फाउंडेशन पर दर्ज सभी आपराधिक मामलों का विवरण प्रस्तुत करने

इज़राइल-ईरान संघर्ष में भारत कैसे करेगा मदद?

ईरान के हालिया मिसाइल हमले ने इजराइल के साथ तनाव को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। इजराइल के राजदूत ने इसे केवल एक साधारण हमला नहीं बल्कि 181 बैलिस्टिक मिसाइलों की बौछार बताया, जिनका वारहेड 700-1,000 किलोग्राम था। इस प्रकार

पुरुषों ने ख़ुद को, स्त्रियों का मित्र नहीं बल्कि उनके प्रभु और स्वामी की तरह समझा है।

स्त्री को-रिवाज और कानून के अनुसार, जिनका निर्माण पुरुष ने किया है और जिनको बनाने में स्त्री का कोई हाथ नहीं रहा, दबाकर रखा गया है। अहिंसा के आधार वाली जीवन-योजना में स्त्री को अपने भाग्य-निर्माण का उतना ही अधिकार है जितना

यदि करोड़ों लोगों के पास कोई धंधा न हो, तो वे भूखों मरेंगे और निकम्मे हो जाने के कारण जड़ बन जायेंगे।

मशीनों का अपना स्थान है; उन्होंने अपनी जड़ जमा ली है। परन्तु उन्हें जरूरी मानव-श्रम का स्थान नहीं लेने देना चाहिये। सुधरा हुआ हल अच्छी चीज है। परन्तु यदि संयोग से कोई एक आदमी अपने किसी यांत्रिक आविष्कार द्वारा भारत की सारी

सबसे अच्छा और कारगर तो यह है कि बिल्कुल बचाव न किया जाए, बल्कि अपनी जगह पर कायम रहा जाए।

बचाव के दो रास्ते हैं। सबसे अच्छा और सबसे कारगर तो यह है कि बिलकुल बचाव न किया जाय, बल्कि अपनी जगह पर कायम रहकर हर तरह के खतरे का सामना किया जाय। दूसरा, उत्तम और उतना ही सम्मानपूर्ण तरीका यह है

हम जिन साधनों को अपना रहे हैं, उनमें हमारी अटल श्रद्धा होनी चाहिये।

मैंने देखा है कि जहां पूर्वग्रह युगों पुराने और कल्पित घार्मिक प्रमाणों के आधार पर खड़े होते हैं, वहां केवल बुद्धि को अपील करने से काम नहीं चलता। बुद्धि को कष्ट सहन का बल अवश्य मिलना चाहिये और कष्ट-सहन से समझ की

पैगंबरों और अवतारों ने हमें अहिंसा का पाठ पढ़ाया है, एक भी पैगंबर ने हिंसा की शिक्षा देने का दावा नहीं किया।

पैगम्बरों और अवतारों ने भी थोड़ा-बहुत अहिंसा का ही पाठ पढ़ाया है। उनमें से एक ने भी हिंसा की शिक्षा देने का दावा नहीं किया। और करे भी कैसे ? हिंसा सिखानी नहीं पड़ती। पशु के नाते मनुष्य हिंसक है और आत्मा

अनियंत्रित व्यक्तिवाद जंगली जानवरों का कानून है। हमें व्यक्तिगत स्वातंत्र्य और सामाजिक संयम के बीच के रास्ते पर चलना सीखना होगा।

मैं व्यक्तिगत स्वतंत्रता की कीमत करता हूँ, परन्तु आपको यह नहीं भूलना चाहिये कि मनुष्य मुख्यतः एक सामाजिक प्राणी है। अपने व्यक्तिवाद को सामाजिक प्रगति की आवश्यकताओं के अनुकूल बनाना सीखकर वह अपने मौजूदा ऊंचे दर्ज पर पहुंचा है। अनियंत्रित व्यक्तिवाद जंगली

अहिंसा एक सामाजिक सद्गुण है, जिसका विकास अन्य सद्गुणों की भांति किया जाना चाहिए। 

मेरी राय में अहिंसा केवल व्यक्तिगत सद्गुण नहीं है। वह एक सामाजिक सद्गुण भी है, जिसका विकास अन्य सद्गुणों की भांति किया जाना चाहिये । अवश्य ही समाज का नियमन ज्यादातर आपस के व्यवहार में अहिंसा के प्रगट होने से होता है।

मैं जमींदार और पूंजीपति का उपयोग गरीबों की सेवा में करना चाहूँगा।

  हमें पूँजीपतियों के लिए गरीबों के हितों का बलिदान हरगिज नहीं करना चाहिए। हमें उनका खेल नहीं खेलना चाहिए। लेकिन हमें उन पर उस हद तक भरोसा करना ही चाहिए, जिस हद तक वे अपना लाभ गरीबों की सेवा में अर्पित

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