राहुल गाँधी के कैंब्रिज में दिए गए बयान को राष्ट्रविरोधी साबित करने की होड़ मची हुई है। जबकि असलियत यह है कि केन्द्रीय एजेंसियों के बेजा इस्तेमाल और पेगासस के खतरे ने देश के संघीय ढांचे पर जो चोट मारी है वह
प्राचीन काल में गुरुकुल प्रणाली ने क़िताबी ज्ञान से ज़्यादा किसी काम को करके उस अनुभव से उसके बारे में सीखने पर ध्यान केंद्रित किया। वहां आज़ादी थी आपकी सोच, आपके हुनर को पहले तलाशने की और फ़िर उसे निखारने की। क्लास
जनसंख्या विस्फोट लोगों को आमदनी, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा इत्यादि की पर्याप्त उपलब्धता ना होने के कारण इंसान मेहनत तो अधिक करता है जिस से उसकी आमदनी बढ़ती है लेकिन बढ़ी हुई आमदनी सीमित स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, रोज़गार इत्यादि से मेल नहीं खा
क्यों पक्षपात है नारी से? मृदा दीप को जलवाकर जी करता है कुछ गाऊँ मैं जंग लगी अपनी संस्कृति को फिर से जामा पहनाऊँ मैं ।। १।। कब्र खोद कर अस्थि संजो मुर्दों में जान पिन्हाऊं मैं द्वापर के नायक पार्थ
अन्य विश्व की तरह भारत में भी वैक्सीन के लिए प्रयास जारी थे। संक्रमण के मामलों में कुछ महीनों के पश्चात गिरावट आई पर वह सरकार के प्रयासों से नहीं बल्कि हर्ड इम्युनिटी से था। सरकार का ध्यान हमेशा की तरह कुछ
मीडिया की नकारात्मक दिशा वह कौन व्यथित हो रोता है भावी इतिहास नियंत्रक से जिसमे मानवता सिसक रही कुटिल नीति अभियंत्रक से मलिन हृदय के परिपोषक माया मे पलने वाले झूठी खबरों के संवाहक दो कौड़ी मे बिकने वाले
अगर मैं यह कहूँ कि यह मीडिया जिसमें बैठा बुद्धिजीवी ‘निष्पक्षता’ के नशे से बाहर ही नहीं निकलना चाहता तो यह गलत नहीं होगा। मेरा मानना है कि अगर ‘निष्पक्षता’ लग्जरी बन गई है तो यह अपराध है…देश के सबसे तेज चलने
रेप और गैंगरेप को लेकर हमारी आधुनिक संवेदनशीलता दिसंबर 2012 को हुए निर्भया गैंगरेप मामले से जुड़ी हुई है। उसके बाद शक्तिमिल(मुंबई), कठुआ, उन्नाव, हाथरस जैसे तमाम कभी न खत्म होने वाली अंतहीन सूची महिलाओं के प्रति समाज की भावनाओं को उजागर