दिसंबर 2012 में दिल्ली में घटित ‘निर्भया’ के गैंग बलात्कार के बाद पूरे देश के लोग सड़कों पर आए और तत्कालीन सत्ता ने जिस तरह वर्मा कमीशन बनाकर इस अपराध के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता जताई उससे यह लगने लगा था कि बलात्कारी
‘कहर’ की कविता आज़ादी…. आज़ादी की शुरुआत किसी एक दिन होनी थी, वो हो गयी, पर ये एक ऐसा त्योहार था जिसे आपकी मेरी, और आने वाली पीढ़ियों की पीढ़ियों तक चलना था हमें इस त्योहार को हर हाल में ज़िंदा रखना
अपने 17 महीनों के कार्यकाल में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री शरद अरविन्द बोबडे की आँखों में जाते जाते जिस बात ने किरकिरी का काम किया वह है “वर्तमान में भारत में सबसे ज्यादा दुरुपयोग किया जाने वाला अधिकार, वाक स्वतंत्रता
प्रोफेसर अरुण कुमार के लिए वर्तमान GST कोई कर सुधार नहीं बल्कि असंगठित क्षेत्र को झुलसा देने वाला ‘ग्राउन्ड स्कोर्चिंग टैक्स’ है। ‘इंडियन इकोनॉमीज ग्रेटेस्ट क्राइसिस’, ‘डिमोनेटाइजेशन एण्ड द ब्लैक इकोनॉमी’ जैसी बेस्टसेलर किताबों के लेखक प्रो. कुमार के लिए अर्थशास्त्र का
‘कहर’ की कविता कोई जबरदस्ती है क्या ? कोई जबरदस्ती है क्या? जैसे मैं तुम्हे अपना नेता न मानूँ, मैं ना मानूँ कि तुम कोई दूरदृष्टा हो, मैं न मानूँ कि तुम ईमानदार हो, काबिल हो, मैं ये भी न मानूँ
खेतों में पसीना बहाने वाले किसानों को जब भी अपनी पीड़ा समझाने के लिए आँकड़ों की कमी पड़ती है तो उन्हें सहारा देते हैं पूर्व सांसद, केंद्रीय कृषिमंत्री और योजना आयोग के सदस्य श्री सोमपाल शास्त्री जी। आँकड़ों को उँगलियों पर रखने
4 अगस्त 2020 को लेबनान की राजधानी बेरूत, जो कि एक पोर्ट भी है, में एक विस्फोट हुआ। विस्फोट बड़ी मात्रा में रखे अमोनियम नाइट्रेट के कारण हुआ था जिसे पोर्ट अथॉरिटीज ने एक लावारिस जहाज से जब्त किया था। अपर्याप्त सुरक्षा
“पत्नी पति की दासी नहीं है, बल्कि उसकी जीवन संगिनी और सहायक है और उसके तमाम सुख-दुख में बराबर का हिस्सा बँटाने वाली है। वह स्वयं अपना मार्ग चुनने को उतनी ही स्वतंत्र है जितना उसका पति। मैं बाल विवाह से घृणा