नब्बे के दशक का शुरुआती दौर था। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने प्रधानमंत्री नरसिंह राव और वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारतीय बाज़ार को दुनिया के दूसरे मुल्कों के लिए खोल दिया था। आज की तरह समाचार चैनलों की भरमार नहीं
समस्त ब्रम्हांड और उसका छोटा से छोटा कण भी विज्ञान और विज्ञान के नियमों से संचालित है। ब्रम्हांड की उत्पत्ति बिग बैंग से हुई यह एक विस्फोट था और इस विस्फोट को निर्माण की दिशा में ले जाने वाला था गुरुवाकर्षण बल।
द पैराग्राफ़/The Paragrapgh भगत सिंह के सहयोग से बनाई गयी ‘नौजवान भारत सभा’ के छह नियमों में से(जिन्हें भगत सिंह ने ही तैयार किया था) दो इस तरह थे 1) ऐसी किसी भी संस्था, संगठन या पार्टी से किसी तरह का
प्राथमिकताएं क्या होती हैं जब आप और मैं अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी निर्धारित करते हैं तो? इंसान को समाज में गरिमा से जीने के लिए क्या चाहिए? सबसे अहम क्या है? पानी, बिजली, सड़क के अलावा मैं समझता हूँ कि शिक्षा, सुरक्षा,
अभी तो 1 महीना भी नहीं हुआ प्रतियोगी परीक्षा का रिजल्ट आये। खुशी से झूम उठा था राजीव (काल्पनिक नाम) मेरिट लिस्ट में अपना नाम देखकर। बहुत संघर्ष हो गया अब सारे सपने पूरे होंगे। बंद कमरे में छत को निहारते हुए
परिश्रम का फल भूत कि चिंता भूत हुई वह भूत किसी ने न देखा जी भर कर जीना हक मेरा आगंतुक कल है अनदेखा। समय जो बीत रहा हर क्षण; यह दुर्लभ भी है चोखा है, पर सोच सोच कर डर
आजकल टीवी डिबेट हो या मंच से नेताओ द्वारा दिया गया राजनीतिक भाषण या फिर तथाकथित धर्मगुरुओ द्वारा दिया जाने वाला ज्ञान, हर जगह लोग अपने अपने हिसाब से धर्म को परिभाषित करते है। सबका अपना तरीका है और सबका अपना निहित
“सिर्फ़ लिख़ने या कहने से क्या होगा, पॉलिटिक्स में उतरो और कुछ करो” “यहाँ इतना बोल रहे हो, पाकिस्तान/सीरिया में जा कर बोल के देखो तब पता चलेगा” “तब क्यों नहीं बोले, तब कहाँ थे?” सरकार से या सिस्टम से सवाल