देश किसी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं था और बंटवारे की लाइन “रैडक्लिफ़ लाइन” पर समझौते पर कांग्रेस की ओर से नेहरू और अबुल कलाम आजाद, मुस्लिम लीग का प्रतिनिधित्व करने वाले जिन्ना, दलितों की ओर से अंबेडकर, और सिखों की ओर से
“ऐसा लगता है की हमें जरूरत से ज्यादा सम्मेलन आयोजित करने की आदत है। कुछ सम्मेलनों से बहुत अधिक लाभ मिलता है। लेकिन बड़ी संख्या ऐसे सम्मेलनों की है जो पिछली बातें ही दुहराते हैं और खर्चीले होते हैं। मेरा एक काम
रंगभेद में देश में काले रंग के लोगों के लिए “कल्लू”, “अफ्रीकन”, “नीग्रो” इत्यादि। ऐसे लोगों मज़ाक बनना, उन पर रंग गोरा करने पर ज़ोर, रंग गोरा करने के लिए सौन्दर्य-प्रसाधन की पूरी इंडस्ट्री और विज्ञापन और विवाह के लिए विज्ञापनों और
दामोदर सावरकर, जिसे आज के दक्षिणपंथी गौ रक्षक पूरी कट्टरता से पूजते हैं, ख़ुद गाय को माँ का दर्जा देने के इस हद तक ख़िलाफ़ थे कि व्यंग्यात्मक भाव में कहते थे कि गाय धर्म विशेष की नहीं बल्कि सिर्फ़ एक बछड़े
आप क्यों देखते हैं टीवी? क्या मजबूरी है आपकी? क्या आपके डाईनिंग रूम में सजी टीवी आपके मतलब की खबरें दिखाता है? कब आपने अपने बच्चों की स्वास्थ्य और शिक्षा पर कोई प्राइम टाइम देखा है? जो पत्रकार इसे दिखाने की कोशिश
महावीर जैन के लिए अहिंसा जहां एक दार्शनिक और नैतिक जीवन मूल्य था वहीँ गांधी, किंग और मंडेला के लिए अहिंसा एक सामाजिक और राजनीतिक रणनीति भी थी। ऐसी रणनीति जिस में हाक़िम से आँख में आँख डालकर अपनी बात रखने और
वह दम तोड़ती सिसक रही/है संसद के गलियारों में/अपना चीर हरण करवाती/आबद्ध घृणा के घेरों में राजनीति राजनीति के पन्नों पर बोली लगी निठल्लों पर कोई दल को बदल रहा कोई ज़हर उगलता दल्लों पर भूत एक का
लोग बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं। यह वो लोग हैं जिनका मानना है कि नफरत की आँधी इस देश के संस्थापक मूल्यों में से नहीं है।आवश्यकता है अपने विवेक, तर्कशीलता और अहिंसा का प्रयोग करते हुए संगठित रहने की।