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विचार

फ़ैसला आपका है, इतिहास से धार्मिक वैमनस्य सीखें या आपसी प्रेम?

देश किसी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं था और बंटवारे की लाइन “रैडक्लिफ़ लाइन” पर समझौते पर कांग्रेस की ओर से नेहरू और अबुल कलाम आजाद, मुस्लिम लीग का प्रतिनिधित्व करने वाले जिन्ना, दलितों की ओर से अंबेडकर, और सिखों की ओर से

May 5, 2022
गरलॉजिक्स

“लोग मेरे स्वागत-सत्कार में बहुत सा धन खर्च कर देते हैं उससे स्वागत में कोई वृद्धि नहीं होती”: इंदिरा गाँधी

“ऐसा लगता है की हमें जरूरत से ज्यादा सम्मेलन आयोजित करने की आदत है। कुछ सम्मेलनों से बहुत अधिक लाभ मिलता है। लेकिन बड़ी संख्या ऐसे सम्मेलनों की है जो पिछली बातें ही दुहराते हैं और खर्चीले होते हैं। मेरा एक काम

May 2, 2022
विचार

कहीं आप न्याय के लिए खतरा तो नहीं?

रंगभेद में देश में काले रंग के लोगों के लिए “कल्लू”, “अफ्रीकन”, “नीग्रो” इत्यादि। ऐसे लोगों मज़ाक बनना, उन पर रंग गोरा करने पर ज़ोर, रंग गोरा करने के लिए सौन्दर्य-प्रसाधन की पूरी इंडस्ट्री और विज्ञापन और विवाह के लिए विज्ञापनों और

April 28, 2022
विचार

क्या हिन्दू धर्म का वजूद गाय की चार टांगों पर टिका है?

दामोदर सावरकर, जिसे आज के दक्षिणपंथी गौ रक्षक पूरी कट्टरता से पूजते हैं, ख़ुद गाय को माँ का दर्जा देने के इस हद तक ख़िलाफ़ थे कि व्यंग्यात्मक भाव में कहते थे कि गाय धर्म विशेष की नहीं बल्कि सिर्फ़ एक बछड़े

April 21, 2022
विचार

सबसे ख़तरनाक होता है, हमारे सपनों का मर जाना!

आप क्यों देखते हैं टीवी? क्या मजबूरी है आपकी? क्या आपके डाईनिंग रूम में सजी टीवी आपके मतलब की खबरें दिखाता है? कब आपने अपने बच्चों की स्वास्थ्य और शिक्षा पर कोई प्राइम टाइम देखा है? जो पत्रकार इसे दिखाने की कोशिश

April 12, 2022
विचार

अहिंसा और कायरता का फ़र्क

महावीर जैन के लिए अहिंसा जहां एक दार्शनिक और नैतिक जीवन मूल्य था वहीँ गांधी, किंग और मंडेला के लिए अहिंसा एक सामाजिक और राजनीतिक रणनीति भी थी। ऐसी रणनीति जिस में हाक़िम से आँख में आँख डालकर अपनी बात रखने और

April 6, 2022
साहित्य

‘राजनीति के खूनी गिद्धों की आवाज़ छीनकर रख लेना’

वह दम तोड़ती सिसक रही/है संसद के गलियारों में/अपना चीर हरण करवाती/आबद्ध घृणा के घेरों में   राजनीति   राजनीति के पन्नों  पर बोली लगी निठल्लों पर कोई दल को बदल रहा कोई ज़हर उगलता दल्लों पर     भूत एक का

April 2, 2022
विचार

क्या असहमति देशद्रोह बन गई है?

लोग बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं। यह वो लोग हैं जिनका मानना है कि नफरत की आँधी इस देश के संस्थापक मूल्यों में से नहीं है।आवश्यकता है अपने विवेक, तर्कशीलता और अहिंसा का प्रयोग करते हुए संगठित रहने की।  

March 30, 2022
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विविध

nehru dinkar

राजनीति जहाँ वह कठोर होती है, वहाँ वह तानाशाही समझी जाती है: दिनकर

November 9, 2023

मैं अपना बचाव करने या आपके वोट के लिए याचना करने के लिए तैयार नहीं हूं: पं. जवाहरलाल नेहरू

July 21, 2023

‘हमें पंडितों और मुल्लाओं की जरूरत नहीं’

July 18, 2023

“आइए, हम सब वृहत्तर हित के लिए अपनी पूरी ताक़त लगा दें।”: इंदिरा गाँधी

July 15, 2023

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