देश में बेरोज़गारी की विकराल होती समस्या और सोती हुई राज्य व केंद्र सरकारों के ख़िलाफ़ आम आवाज़ें बुलंद हो रही हैं। कोई रोकर, कोई चीखकर तो कोई लगभग गाली देने की भाषा में सरकारों को कोस रहा है। मंदिर- मस्जिद समेत
विधान का ‘भगवान’ झंडे की ‘बिरादरी’ के कुछ लोगों ने, ‘विधान’ के भगवान, इंसान, को घायल कर दिया है, इंसान का अपमान, विधान में विराजमान, देश के ‘प्रधान’ के धृणा अनुसंधान का परिणाम है। विधान का संरक्षक,
“देअर आर मैनी कॉज़ेज़ आई वुड डाई फॉर। देअर इज़ नॉट अ सिंगल कॉज़ आई वुड किल फॉर।” – महात्मा गांधी गांधी अहिंसा का वो प्रतीक हैं जिस ने मार्टिन लूथर किंग, दलाई लामा, नेल्सन मंडेला सरीखी शख्सियतों को अहिंसा की
महाभारत का युद्ध चल रहा था। कर्ण और अर्जुन की पुरानी प्रतिद्वंदिता थी। कर्ण किसी भी तरह अर्जुन को परास्त करना चाहता था। कहते हैं एक ऐसा मौका आया था जब कर्ण अर्जुन को परास्त कर सकता था। एक कथा है कि
“टूटे हुए सपनों का इलाज किसी अस्पताल में नहीं होता। कोई मेडिकल इन्श्योरेंस या आयुष्मान योजना इसकी भरपाई नहीं कर सकती।” “स्कूल और कॉलेज में 16 से 18 अनमोल साल गुजारने के बाद भी बच्चों को रोजगार के लिए तरसना पड़े
विश्वास, मानव मन में स्थित एक ऐसा स्थान है, जहाँ एक लंबी यात्रा तय करके ही पहुंचा जा सकता है। यदि हम स्वयं को भी किसी बात का भरोसा दिलाना चाहते हैं तो यह यात्रा हमें स्वयं के मन में करनी होती
“दंगे” शब्द मोटे तौर पर आज सिर्फ़ हिन्दू-मुस्लिम के सन्दर्भ में देखा जाता है। पर हमेशा से ऐसा नहीं था। क़रीब 100 साल पहले, 1921 में, जब देश भर में गाँधी जी का असहयोग आंदोलन चल रहा था, तब इंग्लैंड के उस
रिकॉर्ड दीयों की संख्या का तो बन रहा है पर मानव विकास सूचकांक (Human Development Index) जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक सूचकांकों में हम नीचे गिरते जा रहे हैं! इंसान को समाज में गरिमा से जीने के लिए क्या चाहिए? मतदाताओं की प्राथमिकताओं में