“धन की गति में भी परिवर्तन हो सकता है”

  “धन नदी के समान हैं। नदी सदा समुद्र की ओर अर्थात नीचे की ओर बहती है इसी तरह धन को भी जहां आवश्यकता हो वही जाना चाहिए परंतु जैसे नदी की गति बदल सकती है।  धन की गति में भी परिवर्तन

“धन का संचित हो जाना भी राष्ट्र की हानि का कारण हो जाता है”

“शरीर पर एक प्रकार की लाली स्वास्थ्य सूचित करती है।दूसरे प्रकार की रक्त-पित्त रोग का चिन्ह है। फिर एक स्थान में खून का जमा हो जाना जिस तरह शरीर को हानि पहुँचाता है उसी तरह एक स्थान में धन का संचित हो

‘अहिंसा एक सामाजिक सद्गुण है’

“मेरी राय में अहिंसा केवल व्यक्तिगत सद्गुण नहीं है। वह एक सामाजिक सद्गुण भी है,जिसका विकास अन्य सद्गुणों की भांति किया जाना चाहिए। अवश्य ही समाज का नियमन ज्यादातर आपस के व्यवहार में अहिंसा के प्रगट होने से होता है। मेरा अनुरोध

‘पत्नी पति की दासी नहीं है, बल्कि उसकी जीवन संगिनी और सहायक है’

“पत्नी पति की दासी नहीं है, बल्कि उसकी जीवन संगिनी और सहायक है और उसके तमाम सुख-दुख में बराबर का हिस्सा बँटाने वाली है। वह स्वयं अपना मार्ग चुनने को उतनी ही स्वतंत्र है जितना उसका पति।  मैं बाल विवाह से घृणा

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